कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी सिंह की अगुवाई में दिल्ली में प्रदर्शन
इंफाल के पश्चिम और पूर्वी जिलों में हिंसा के बाद कर्फ्यू, इंटरनेट बंद
नई दिल्ली : राज्यसभा में मंगलवार को भी विपक्ष के हंगामे के चलते नागरिकता संशोधन विधेयक पेश नहीं हो पाया। हालांकि लोकसभा से यह बिल जनवरी में पारित हो गया था। इस विधेयक के माध्यम से 1955 के कानून को संशोधित किया जाएगा। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक बुधवार को बजट सत्र का आखिरी दिन है, जो 16वीं लोकसभा का आखिरी सत्र है। उधर, मणिपुर में नागरिकता विधेयक के विरोध में आज हिंसा और उग्र हो गई। मणिपुर के इंफाल पश्चिम और पूर्वी जिलों में कुछ हिंसात्मक घटनाओं के मद्देनजर अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है। साथ ही राज्यपाल के आदेश पर इंटरनेट सेवा पर पांच दिन के लिए रोक लगा दी गई है। विधेयक के विरोध में आज कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में भी प्रदर्शन किया। मंगलवार को इंफाल के लमसांग पुलिस स्टेशन के तहत खुम्बोंग इलाके में बड़ी संख्या में विधेयक का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया।
कुछ लोगों ने नग्न होकर प्रदर्शन किया। उपद्रवियों को काबू करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इस दौरान स्थानीय एक पत्रकार समरेंद्रो और एक स्थानीय नेता मामूली रूप से घायल हो गए। उल्लेखनीय है कि पीएएम ईसाई समर्थित संगठन है, जबकि एमएमडीसी मुस्लिम समाज का प्रतिनिधत्व करता है। राज्य में जारी विरोध प्रदर्शनों के पीछे इन्हीं दोनों संगठनों का प्रमुख रूप से हाथ बताया जा रहा है। मणिपुर में मणिपुर पीपुल्स अगेंस्ट द सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल-2016 (एमएएनपीएसी), पीपुल्स अलायंस मणिपुर (पीएएम) तथा मणिपुर मुस्लिम डेवलपमेंट कमेटी (एमएमडीसी) के बैनर तले लगातार विरोध-प्रदर्शनों के बाद मणिपुर प्रशासन ने कानून व्यवस्था को बहाल रखने के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं।
ताजा हिंसक घटनाओं के मद्देनजर राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला द्वारा जारी एक आदेश के बाद राज्य में मोबाइल व डेटा सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। इससे पहले मणिपुर के इंफाल पश्चिम और पूर्वी जिलों में कुछ हिंसात्मक घटनाओं के मद्देनजर अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया। मणिपुर सरकार को उम्मीद है कि वह नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 के विरोध में जारी विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर कानून व्यवस्था को लिए चुनौती बने हालात को काबू में कर लिया जाएगा। कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर गड़बड़ियों का हवाला देते हुए राज्यपाल के आदेश में कहा गया है कि अगर इंटरनेट पर रोक नहीं लगाई जाती है तो राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की आशंका बढ़ सकती है। इसी के मद्देनजर राज्य क्षेत्र में सभी मोबाइल इंटरनेट/ डेटा सेवाओं को निलंबित किया गया है। कोई भी व्यक्ति उपरोक्त आदेशों के उल्लंघन का दोषी पाया गया तो उसके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।