कुम्भ नगर (प्रयागराज)। गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ जी महाराज के कुम्भ मेला स्थित शिविर में दो दिवसीय नेत्र शिविर संपन्न हुआ। इस दौरान करीब तीन हजार श्रद्धालुओं के नेत्रों का परीक्षण हुआ, जिनमें 2500 लोगों को चश्मे भी वितरित किये गये।
शिविर में प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डा. जितेन्द्र गगलानी ने रविवार सुबह नौ बजे से रात करीब 12 बजे तक और सोमवार को फिर सुबह आठ बजे से शाम तक लगातार साधु-संतों, कल्पवासियों और अन्य श्रद्धालुओं की आंखों की अत्याधुनिक मशीनों से जांच की। इस दौरान लोगों को दवा आदि भी निःशुल्क वितरित किया गया। करीब 2500 लोगों को निःशुल्क चश्मा भी दिया गया।
कुम्भ मेला स्थित अपने शिविर में नेत्र कैंप के लिए शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने पश्चिम बंगाल कोलकाता के महावीर सेवा सदन नामक सेवा संस्था को आमंत्रित किया था। शंकराचार्य बताते हैं कि संस्था के चिकित्सक डा. जितेन्द्र लगातार सेवा कार्य करते रहें है।
उन्होंने लगातार एक लाख नेत्र रोगियों को देखने का कीर्तिमान भी स्थापित किया है। कुम्भ के शिविर में मात्र दो दिन में उन्होंने तीन हज़ार से ज्यादा रोगियों को देखा है।
इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद ने कहा कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। व्यक्ति के जीवन में नेत्र ज्योति का बड़ा महत्व है। व्यक्ति की नेत्र ज्योति बची रहे, इसके लिए हमारे शिष्य ने अहम प्रयास किया और कोलकाता से आकर कुम्भ क्षेत्र में सुबह से रात्रि तक नेत्र मरीजों की जांच किया।
उन्होंने बताया कि नेत्र शिविर में पहले दिन एक बूढ़ी मां की आंखों की जांच के बाद जब उसे चश्मा मिला, तो वह रोने लगी। महिला के आंखों की ज्योति लौट आयी थी। उसे सब कुछ स्पष्ट दिखने लगा तो वह अपने और रोगों के बारे में उनको बताने लगी।
इस प्रकार किसी के जीवन में ज्योति बनाए रखने का प्रयास उत्तम है, इससे बड़ी सेवा कुछ नहीं है। शंकराचार्य ने बताया कि आगामी एक वर्ष के दौरान वह पूरे देश में नेत्र शिविर लगवाएंगे और पांच लाख निःशुल्क चश्में का वितरण करवाएंगे।
इस दौरान डा. जितेन्द्र ने बताया कि उन्हें सेवा कार्य करना बेहद पसंद है। वह कुम्भ में शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद का आशीर्वाद प्राप्त करने आ रहे थे। स्वामीजी ने यहां नेत्र जांच शिविर लगाने की इच्छा जताई तो अपने साथ अत्याधुनिक नेत्र जांच एम्बुलेंस भी लेते आए और दो दिन तक रुक कर श्रद्धालुओं की सेवा किये।
डा. जितेन्द्र के साथ उनके चार सहायक भी यहां आये हुए थे। वे सब मरीजों को बड़े प्यार से दवा और चश्मे का वितरण कर रहे थे। दो दिन के इस शिविर में आये मरीजों में महिलाओं और बूढ़े लोगों की संख्या काफी अधिक रही।