मध्य प्रदेश के बैतूल संसदीय सीट से बीजेपी सांसद ज्योति धुर्वे की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जनजातीय कार्य विभाग की छानबीन समिति ने धुर्वे के अनुसूचित जनजाति प्रमाण-पत्र को निरस्त करने पर लगी रोक हटा दी है. यानी धुर्वे जनजाति वर्ग की नहीं हैं. जनजातीय विभाग की आयुक्त दीपाली रस्तोगी की तरफ से जारी एक आदेश में कहा गया है, “ज्योति धुर्वे पुत्री महादेव दशरथ की जाति बिसेन है, जो मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित नहीं है. छानबीन समिति ने छह मई, 2017 को लगाई गई रोक निरस्त कर दी है.”
जनजातीय विभाग का यह आदेश सोमवार को बैतूल जिला प्रशासन को प्राप्त हुआ, और इसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ है. इस तरह धुर्वे के अनुसूचित जनजाति के दावे पर संकट गहरा गया है. वह आरक्षित संसदीय क्षेत्र बैतूल से सांसद हैं.
आदेश के अनुसार, “राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अनुसूचित जनजाति के संदेहास्पद प्रमाण-पत्रों की जांच के लिए बनाई गई छानबीन समिति ने सांसद ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाण-पत्र मामले की छह फरवरी को सुनवाई की और सात फरवरी को आदेश पारित किया. छानबीन समिति ने धुर्वे के जाति प्रमाण-पत्र को जब्त कर निरस्त करने के पूर्व में जारी आदेश पर लगी रोक हटा दी है. समिति ने जाति प्रमाण-पत्र रद्द करने का आदेश बरकरार रखा है.”
आदेश के अनुसार, छानबीन समिति ने छह अप्रैल, 2017 को ज्योति धुर्वे के अनुसूचित जनजाति-प्रमाण पत्र को लेकर सामने आए तथ्यों के आधार पर उनके गौंड़ जाति के प्रमाण-पत्र को निरस्त कर राजसात करने के साथ वैधानिक कार्रवाई के निर्देश दिए थे. धुर्वे ने इस पर पुनर्विचार का अनुरोध किया, जिसे समिति ने स्वीकार कर पूर्व में जारी आदेश पर रोक लगा दी थी.
लेकिन राज्य में सत्ता बदलने के बाद जनजातीय कार्य विभाग ने 10 जनवरी, 2019 को पांच सदस्यीय समिति गठित की थी. इस समिति ने सांसद धुर्वे के मामले की जांच की. जांच में पाया गया कि धुर्वे की मां आशा ठाकुर गौंड़ जाति से हैं और उनकी दो शादी हुई. पहली शादी उभेराम से हुई, जो गौंड़ जाति के थे, वहीं दूसरी शादी महादेव से हुई, जिनका गौंड़ जाति से कोई वास्ता नहीं है.