प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी का दौरा करेंगे जहां वह राष्ट्रीय राजमार्ग-31 डी के फलाकाता-सलसलाबाड़ी खंड को चार लेन किये जाने की आधारशिला रखेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग का यह 41.7 किलोमीटर लंबा खंड पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में आता है और इसे करीब 1938 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा. बयान में कहा गया कि मोदी जलपाईगुड़ी में हाई कोर्ट की नयी सर्किट बेंच का भी उद्घाटन करेंगे.
वहीं जलपाईगुड़ी के चुराभंडार से आई खबर के मुताबिक मोदी शुक्रवार को यहां एक सार्वजनिक रैली को भी संबोधित करेंगे. यह एक हफ्ते में राज्य में मोदी की तीसरी रैली होगी. हालांकि उनकी रैली स्थल के लिए मंजूरी को लेकर भी भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं.
यह ममता बनर्जी के सारदा चिट फंड घोटाले में कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से सीबीआई की “राजनीति से प्रेरित” पूछताछ के विरोध में धरना खत्म करने के तीन दिन बाद हो रही है. यहां भाजपा सूत्रों के मुताबिक मोदी जिले में इस मंच का इस्तेमाल बनर्जी के आरोपों का “माकूल” जवाब देने के लिये कर सकते हैं और चुनावों से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भी भरेंगे.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “पार्टी कार्यकर्ताओं को संदेश देने के अलावा हमें उम्मीद है कि मोदी जी तृणमूल कांग्रेस के असंवैधानिक धरने का भी समुचित जवाब देंगे.” भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनावों में राज्य की 42 सीटों में से सिर्फ दो सीटें जीती थीं, लेकिन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने इस बार यहां से 23 सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. भाजपा के दूसरे नेताओं के मामलों की तरह ही पार्टी को जलपाईगुड़ी में प्रधानमंत्री की सभा के लिये स्थल तलाशने में दिक्कत हुई.
जलपाईगुड़ी के सरकारी कॉलेज और उससे सटे स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के मैदान के लिए मंजूरी नहीं मिलने के बाद पार्टी को जलपाईगुड़ी शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर खेती की जमीन को किराये पर लेकर सभा के आयोजन के लिये बाध्य होना पड़ा. भाजपा की राज्य इकाई के महासचिव राजू बनर्जी ने आरोप लगाया कि स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता बस संचालकों को चेतावनी दे रहे हैं कि भगवा पार्टी के समर्थकों को अपनी गाड़ियों में रैली स्थल पर न ले जाए. तृणमूल कांग्रेस के विधायक सौरव चक्रबर्ती ने हालांकि इन आरोपों को “निराधार” करार दिया.