संसद के दोनों सदनों ने सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का बिल पास किया और उस पर राष्ट्रपति ने मुहर लगाई, जिसके बाद ये जरूरी हो गया कि सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षण संस्थानों में सवर्णों को इसका लाभ दिया जाए. 1 फरवरी से यह आरक्षण लागू भी हो गया और 2019-20 के शैक्षणिक वर्ष में इसी के लिहाज़ से आरक्षण दिया जाएगा, लेकिन जामिया मिल्लिया इस्लामिया सेंट्रल यूनिवर्सिटी में यह कोटा लागू नहीं होगा, क्योंकि इस यूनिवर्सिटी को NCMEI( National Commision For Minorities Education Institution) ने अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया हुआ है. जामिया प्रशासन ने भी इस बात की पुष्टि की है, कि उन्होंने एमएचआरडी को अपने जवाब में भी इस बात को कहा है.
17 जनवरी को जो ऑफिस मेमोरेंडम एमएचआरडी की तरफ से शिक्षण संस्थानों को जारी किया गया था, उसमें भी इस बात का ज़िक्र था कि जो संस्थान अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त है, यानी जिनको NCMEI ने अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दे रखा है, उस पर 10 प्रतिशत कोटे का आरक्षण लागू नहीं होगा. अल्पसंख्यक संस्थान होने की वजह से ही जामिया में ओबीसी कोटे का भी लाभ नहीं दिया जाता है.
आपको बता दें कि 103वें संशोधन में अनुच्छेद 15(6) आता है, जिसके तहत विशेष प्रावधान की अनुमति है. इसमें शैक्षणिक संस्थानों (निजी भी शामिल) में 10 फीसदी तक ईडब्ल्यूएस कोटा देने की बात है. अनुच्छेद 15 (6), 15(5) का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे 2006 में यूपीए-1 ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के लिए 93वें संविधान संशोधन के जरिए लाई थी.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे के मामला कोर्ट में चल रहा है. जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पीआरओ अहमद अज़ीम का कहना है, कि देश में सिर्फ जामिया नहीं, बल्कि और भी बड़ी तादाद में अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा रखने वाले संस्थान है, और किसी में भी ये कोटा लागू नहीं होगा.
दरअसल, 17 जनवरी को केंद्रीय मानव संसाधान मंत्रालय ने 2019-20 सत्र से ईडब्लूएस कोटा लागू करने के बारे में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों से पूछा था. संस्थान को 31 जनवरी तक प्रोग्राम के अनुसार सीट मैट्रिक्स और संभावित आर्थिक जरूरतों को बताने को कहा गया था. जिस पर जामिया ने अपना जवाब दिया.