नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना डिजिटलीकरण और सरकारी योजनाओं में आधार कार्ड को जरूरी बनाने का असर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में दिख रहा है। पिछले चार सालों के दौरान देशभर में लगभग दो करोड़ फर्जी राशन कार्डों की पहचान कर उन्हें रद्द कर दिया गया है। यह जानकारी उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बताया कि प्रौद्योगिकी आधारित सुधारों के कारण राज्यों व संघ राष्ट्र क्षेत्रों की सरकारें अपात्र, नकली, डुप्लिकेट राशन कार्डों की पहचान करने और उन्हें हटाने तथा प्रवास, मृत्यु एवं परिवार की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन आदि के कारण भी लाभार्थियों को हटाने में समर्थ हुई हैं। वर्ष 2015 से 2018 तक कुल 1,99,133 करोड़ राशन कार्ड हटाए गए हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार सभी राज्यों व संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों के सहयोग से पीडीएस के प्रचलनों के एक सिरे से दूसरे सिरे तक कम्प्यूटरीकरण पर एक स्कीम कार्यान्वित कर रही है। इसके पहले चारण में देश में लगभग 23 करोड़ राशन कार्डों के आंकड़ों का डिजिटलीकरण कर दिया गया है। इसके अलावा लक्षित सुपुर्दगी के लिए लाभार्थियों के प्रमाणन के लिए उनके आधार नंबरों को राशन कार्ड के साथ जोड़ा गया है। अब तक राष्ट्रीय स्तर पर 86 प्रतिशत राशन कार्ड आधार नंबर के साथ जोड़े गए हैं।
पासवान ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 72,62,136, पश्चिम बंगाल में 21,84,152 (पश्चिम बंगाल में विशिष्ट राशन प्रणाली है), महाराष्ट्र में 19,76,688, राजस्थान में 14,78,685, कर्नाटक में 12,36,712, ओडिशा में 6,86,211, उत्तराखंड में 6,46,337, आंध्र प्रदेश में 6,09,674, तेलंगाना में 6,04,838, मध्य प्रदेश में 5,73,797, छत्तीसगढ़ में 4,43,000, झारखंड में 4,53,939, हरियाणा में 3,84,775, असम में 2,86,008, तमिलनाडु में 2,07,734, गुजरात में 1,82,576, त्रिपुरा में 1,58,964, गोवा में 1,55,586 और पंजाब में 1,04,917 सहित शेष राज्यों में यह आंकड़ा लाख से नीचे है।