मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में शिक्षा व्यवस्था के सरकारी दावों की पोल खुलती हुई नजर आ रही है. शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार कर देने वाला यह मामला डिंडौरी जिले के सोनतीरथ गांव का है जहां सरकारी स्कूल पुल के ऊपर लगाया जा रहा है. सरकारी स्कूल के बच्चे शिक्षा पाने के लिए छत के मोहताज हैं और अपनी जान जोखिम में डालकर एक पुल के ऊपर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
बारिश में जमींदोज हो गया था स्कूल का भवन
दरअसल करंजिया विकासखंड के सोनतीरथ गांव का जर्जर स्कूल भवन बारिश के दिनों में जमींदोज हो गया था. गांव में कोई दूसरा सरकारी भवन नहीं है जहां स्कूल संचालित किया जा सके लिहाजा शिक्षकों ने पुलिया के ऊपर ही स्कूल लगाने का फैसला लिया और करीब चार महीने गुजरने के बाद भी अधिकारीयों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है.
खुद कैबिनेट मंत्री आते हैं इस जगह से…
हैरत की बात तो यह है कि प्रदेश सरकार में आदिवासी विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम खुद करंजिया विकासखंड के बरनई गांव के निवासी हैं और उनके ही गृह इलाके में सरकारी स्कूल पुलिया के ऊपर संचालित हैं. हम आपको बता दें कि आदिवासी बाहुल्य जिलों में शिक्षा व्यवस्था की बागडोर आदिवासी विकास विभाग द्धारा संचालित की जाती है और मंत्री जी के इलाके में ही जब ये आलम है तो ऐसे में प्रदेश के अन्य इलाको में शिक्षा व्यवस्था का अंदाजा बड़ी आसानी से लगाया जा सकता है.
67 स्कूल हो रहे हैं जर्जर भवन में संचालित
ग्रामीणों ने शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा को लेकर मंत्री ओमकार मरकाम के प्रति नाराजगी व्यक्त कर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. वहीं, जवाबदार अधिकारी की मानें तो जिले में 67 ऐसे स्कूल हैं जो जर्जर भवनों में संचालित हैं या फिर ऐसे ही खुले आसमान के नीचे लग रहे हैं जिसकी जानकारी उन्होंने अपने वरिष्ठ कार्यालय को भेज दी है लेकिन बजट आवंटन नहीं होने के कारण स्कूल भवनों का निर्माण नहीं हो पाया है.