नेशनल हेराल्ड केस में सुब्रमण्यम स्वामी से हुई जिरह

नई दिल्ली : नेशनल हेराल्ड मामले में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी से सोमवार को जिरह (क्रास-एग्जामिनेशन) की गई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तरफ से वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने स्वामी से जिरह किया। आज स्वामी से जिरह अधूरी रही। कोर्ट ने जिरह की अगली तिथि 23 फरवरी तय की है। क्रास-एग्जामिनेशन के दौरान चीमा ने स्वामी से पूछा कि क्या अभियुक्तों द्वारा नेशनल हेराल्ड को स्थायी रुप से बंद करना केस का मुख्य सार है। स्वामी ने इससे इनकार किया। स्वामी ने कहा कि हमने ऐसा कभी नहीं कहा कि नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। स्वामी ने कहा कि हमने कहा था कि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) ने नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन रोक दिया है। उन्होंने कहा कि हमने जे गोपालकृष्णन पर भरोसा किया था और गोपालकृष्णन ने राहुल गांधी के ई-मेल पर भरोसा किया था। स्वामी ने कहा कि हमने अपने साक्ष्य में कभी नहीं कहा कि नेशनल हेराल्ड स्थायी या अस्थायी रुप से बंद कर दिया गया है। बंद करने के पीछे एजेएल को यंग इंडियन द्वारा खरीदने की मंशा थी। चीमा ने स्वामी से पूछा कि क्या आपका केस ये है कि एजेएल को कांग्रेस नेताओं ने नेशनल हेराल्ड को बंद करने के उद्देश्य से फंड मुहैया कराए थे।

इसे पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से नहीं। तब स्वामी ने कहा कि नहीं। चीमा ने स्वामी को उनके शिकायत की प्रति को वो हिस्सा दिखाया जिसमें कहा गया था कि फंड मुहैया कराने का मुख्य उद्देश्य प्रकाशन को बंद कराना था। तब स्वामी ने कहा कि ये सही नहीं है। हमें इस पर कुछ नहीं कहना है। चीमा ने कहा कि यंग इंडियन ने ये घोषणा कभी नहीं की कि जैसा कि आपने मेंशन किया है कि उसने एजेएल की संपत्तियों का अधिग्रहण कर लिया है। इस पर आपका क्या कहना है, तब स्वामी ने कहा कि ये सरासर गलत है। तब चीमा ने पूछा कि क्या आप यंग इंडियन की तरफ से कोई वैसा आधिकारिक वक्तव्य दिखा सकते हैं जैसा कि आपने अपने शिकायत में कहा है। तब स्वामी ने कहा है कि हां, मैंने राहुल गांधी द्वारा जे गोपालकृष्णन को भेजे गए मेल पर भरोसा किया। चीमा ने पूछा कि क्या आप कोई वैसा दस्तावेज दिखा सकते हैं जिसमें यंग इंडियन ने एजेएल की संपत्तियों को अधिगृहीत किया हो।

तब स्वामी ने कहा कि यंग इंडियन ने एजेएल की 99.1 फीसदी हिस्सेदारी ली है। राहुल गांधी की 35 फीसदी हिस्सेदारी है। ये सभी दस्तावेज दिल्ली के रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज और दिल्ली हाईकोर्ट में उपलब्ध हैं। स्वामी ने कहा कि संपत्तियों का भौतिक अधिग्रहण का सवाल बेतुका है। तब चीमा ने इस पर एतराज जताया और कहा कि ये जज पर निर्भर करता है कि वो इस सवाल को बेतुका करार दे। तब स्वामी ने कहा कि हमने भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज कराया है। 19 नवंबर 2018 को अदालत ने इस मामले में कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा की सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा इस केस के बारे में ट्वीट करने पर रोक लगाने की मांग करनेवाली याचिका खारिज कर दी थी। एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने कहा था कि कोर्ट तब तक किसी को कोर्ट की कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने से नहीं रोक सकती है जब तक उसका उद्देश्य गलत साबित न हो।

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