सूबे की राजधानी के प्रतिष्ठित बलरामपुर चिकित्सालय के 150 वें स्थापना दिवस पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने चिकित्सकों को आईना दिखा दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चिकित्सकों को संवेदनशील बनने की सलाह दी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलरामपुर अस्पताल में चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह की मौजूदगी में कहा कि अगर साख बचानी है तो हमारे चिकित्सक संवेदनशील बने। यह तो सच है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लगातार बेहतर करने के लिए आप सभी को संसाधन दे सकती, लेकिन अपने पेशे के प्रति सवेंदनशील तो आपको बनना होगा।
आप लोग बेहद संवेदनशील बने तो सरकार के साथ ही आप का भी नाम और काम लगातार बढ़ेगा। बलरामपुर अस्पताल की गरिमा काफी पुरानी है, हम सभी को मिलकर इसको लगातार बढ़ाना होगा।बलरामपुर अस्पताल की गरिमा काफी पुरानी है, हम सभी को मिलकर इसको लगातार बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री ने बलरामपुर अस्पताल में एमआरआइ भवन, आइसीयू, जीरियाट्रिक वार्ड और 16 स्लाइस सीटी-स्कैन मशीन का लोकापर्ण भी किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा चिकित्सीय सेवा का प्राण है संवेदना और संवेदनशील व्यवहार। उन्होंने कहा कि माना जाता है कि बीमारी आधी दवा से और आधी चिकित्सक के व्यवहार से जाती है, लेकिन अगर डॉक्टर ओपीडी में समय पर नहीं बैठते हैं या उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया उसे डांट डपट कर भगा दिया। उसकी दुआ नहीं मिलती है बल्कि बददुआ मिलती है तो हमारी यह हमारी विफलता है।
चिकित्सा का स्तर गिरने पर करना होगा विचार
मुख्यमंत्री ने कहा कि बलरामपुर अस्पताल चिकित्सीय सेवाओं की रीढ़ माना जाता था। यहां पर तो कई प्रधानमंत्रियों और नेताओं का इलाज होता था। गत वर्ष 50 लाख लोगों की ओपीडी हुई है। यहां इलाज में जाति, मजहब को नहीं देखा जाता है। आखिर ऐसी कौनसी परिस्थितियां हैं जिसकी वजह से चिकित्सक को देव तुल्य माना जाता था, आज उसके प्रति विश्वास की कमी हुई है उसे देखना होगा, पुन:सोचना होगा। आपकी ओपीडी बढ़ी है, नई-नई बीमारियों के मरीज भी आ रहे हैं। आपको सोचना होगा आपके कार्य में कौन सी चूक हुई है। जिसके कारण श्रद्धा और विश्वास की कमी हुई है। उन्होंने शासन स्तर पर अस्पताल के लिए हर संभव मदद को मुहैया करवाने का आश्वासन दिया।
ताकि स्ट्रेचर और भर्ती होने के लिए न भटकें मरीज
मुख्यमंत्री ने कहा कि बलरामपुर अस्पताल 150 वर्ष पहले शुरू हुआ और कई गुना चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ हो चुके हैं। सुविधाओं के साथ बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ की संवेदना आम छाप छोडऩी चाहिए। ऐसा न हो की कोई मरीज आए तो स्ट्रेचर के अभाव में भटकता रहे, डॉक्टर को ढूंढने के लिए दिन भर इंतजार करे। उसे भर्ती होना है तो दस चक्कर लगाने पड़े, कोई सुविधा चाहिए जो आपके पास है उसे चक्कर काटने पड़े।
दो वर्षों में प्रदेश में बढ़ी चिकित्सीय सुविधाएं
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दो वर्ष में हमने चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत कार्य किया है। अब 150 लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस की व्यवस्था करना है। 108 की सेवा की सेंसनिंग के लिए कार्रवाई करना है। अभी संचारी रोग के उन्मूलन के लिए प्रभारी कार्यक्रम चलाए गए। टीकाकरण के लिए अभियान चलाना, मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम चलाए गए। जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के सुदृढीकरण के लिए कार्य हुए हैं। प्रदेश सरकार संसाधनों की कमी को कभी आड़े नहीं आने दे रही है।
उम्र बढऩे पर और चमका बलरामपुर अस्पताल
स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि उम्र बढऩे पर बलरामपुर अस्पताल की चमक और बढ़ी है। गत दो वर्षों में अस्पताल में डेंटल यूनिट, एक्सरे, डायलिसिस सेंटर, नई पैथोलॉजी लैब भी खुली है। यहां हर माह दो लाख से ज्यादा जांचें होती है। न्यू आइसीयू, वृद्धजन वार्ड, एमआरआइ भवन की नींव भी रखी जा रही है। इससे अस्पताल नई ऊंचाईयां छू रहा है। प्रतिदिन दस हजार की ओपीडी होती है। आयुष्मान भारत के 80 मरीज देखे जा चुके हैं, यहां तक कि हिप रिप्लेसमेंट भी हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने ओपीडी और चिकित्सकों के बैठने के लिए नई बिल्डिंग तैयार करने के लिए बजट की मांग भी की।
कार्यक्रम में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.पद्माकर सिंह, महापौर संयुक्ता भाटिया, सीएमओ डॉ.नरेंद्र अग्रवाल, निदेशक डॉ.राजीव लोचन, सीएमएस डॉ. ऋषि सक्सेना आदि मौजूद रहे।