कहते हैं आज के समय में भाभी और ननद में झगड़े हो जाए तो उसे सुलझा पाना किसी के बस का काम नहीं होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ननद भाभी के झगड़े कहाँ से शुरू हुए. अगर आप नहीं जानते तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि यह सब कैसे शुरू हुआ. कहा जाता है भगवान शिव की एक बहन भी थीं लेकिन इनके बारे में धर्म गंर्थों में बहुत कम बताया गया है. अब सवाल उठता है कि जब शिवजी का जन्म ही नहीं हुआ, यानी वे अजन्में हैं तो उनकी बहन कहां से आ गई तो हम आपको इस बारे में भी आज बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं एक पौराणिक कथा.
पौराणिक कथा- कहा जाता है जब शंकर भगवान से शादी के बाद माता पार्वती कैलाश पर्वत आ ही थीं. तब उन्हें कैलाश पर्वत पर बहुत अकेलापन महसूस होता था. वे मन ही मन सोचती कि काश, उनकी कोई ननद होती, तो वह उनके साथ बातें करतीं. पार्वतीजी के मन में यह बात कई बार उठी, लेकिन उन्होंने शंकरजी को नहीं बताई. लेकिन भोले तो अंतर्यामी ठहरे. उन्हें पार्वतीजी के मन की बात पढ़ते देर नहीं लगी. इसके बाद शंकरजी ने अपनी माया से एक देवी को उत्पन्न किया. हालांकि उनका रूप बड़ा विचित्र था.
वह बहुत मोटी थीं और उनके पेरों में दरारें थीं. शिव ने उनका नाम असावरी देवी रखा. इस तरह माता पार्वती को ननद मिल गई. पार्वती ने असावरी देवी को स्नान करवाया और फिर भोजन पर आमंत्रित किया. लेकिन असावरी देवी ने जब खाना शुरू किया तो माता पार्वती के सारे भंडार खाली हो गए. इससे पार्वती जी को बुरा लगा, लेकिन उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा. इसके बाद असावरी देवी ने अपनी भाभी के साथ मजाक शुरू कर दिया. उन्होंने पार्वती को अपने पैरों की दरारों में छुपा लिया.
शंकरजी खोजते हुए आए तो जोर से पैर पटककर बाहर निकाला. इससे माता पार्वती बहुत आहत हुईं. उन्होंने पति से कहा कि आप तो ननद को उसके ससुराल भेज दो. भगवान समझ गए कि भाभी-ननद मे बहुत पटने वाली नहींं है. इसके बाद उन्होंने असावरी देवी को कैलाश पर्वत से विदा कर दिया.