4 फरवरी 2019 को मौनी अमावस्या है। इस दिन सोमवार व श्रवण नक्षत्र होने से महत्व और अधिक बढ़ गया है।
इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि ये मौन अमवस्या है और इस व्रत को करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता है। इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है। शास्त्रों में वर्णित भी है कि होंठों से ईश्वर का जाप करने से जितना पुण्य मिलता है, उससे कई गुणा अधिक पुण्य मन का मनका फेरकर हरि का नाम लेने से मिलता है। इसी तिथि को संतों की भांति चुप रहें तो उत्तम है। अगर संभव नहीं हो तो अपने मुख से कोई भी कटु शब्द न निकालें।
इस छीना छपटी में अमृत कलश से कुछ बूंदें छलक गईं और प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में जा कर गिरी। यही कारण है कि ऐसा विश्वास किया जाता है कि इन स्थानों की नदियों में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होता है।
प्रयाग में जब भी कुंभ होता है तो पूरी दुनिया से ही नहीं बल्कि समस्त लोकों से लोग संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने आते हैं। इनमें देवता ही नहीं ब्रह्मा, विष्णु व महेश यानि त्रिदेव भी शामिल हैं। ये सभी रूप बदल कर इस स्थान पर आते हैं। त्रिदेवों के बारे में प्रसिद्ध है कि वे पक्षी रूप में प्रयाग आते हैं। इसलिए इस दिन पक्षियों को चुग्गा विशेष रूप से दिया जाता है।
इस तिथि को भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की पूजा का विधान है। इस दिन पीपल में अर्घ्य देकर परिक्रमा करें और दीप दान दें। इस दिन जिनके लिए व्रत करना संभव नहीं हो वह मीठा भोजन करें।