शिक्षा पद्धति में चारित्रिक उत्कृष्टता एवं जीवन मूल्यों का समावेश जरूरी : शिक्षाविदों की राय

सीएमएस में ‘चारित्रिक शिक्षा एवं नैतिक विकास’ पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन का भव्य समापन

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के कैरेक्टर एजूकेशन एवं यूथ इम्पॉवरमेन्ट विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो-दिवसीय ‘इण्टरनेशनल कान्फ्रेन्स ऑन कैरेक्टर एजूकेशन एण्ड फ्यूचर इम्पैक्ट’ के दूसरे व अन्तिम दिन आज जार्जिया, ईरान, कतर, इंग्लैण्ड, अमेरिका एवं भारत के विभिन्न प्रान्तों से पधारे शिक्षाविदों ने ज्ञान के प्रकाश को जन-जन तक पहुँचाने का जोरदार आहवान करते हुए कहा कि इक्कीसवीं सदी शिक्षा में क्रान्तिकारी बदलाव की सदी है। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारा अतीत क्या रहा है, बल्कि अहम बात यह है कि आज के दौर में शैक्षिक क्षेत्र में हम किस ओर अग्रसर हैं। आज हमें एक ऐसी शिक्षा पद्धति की जरूरत है जो बच्चों को जीवन मूल्यों व चारित्रिक उत्कृष्टता से परिपूर्ण विश्व नागरिक बनाये और उनमें नेतृत्व की क्षमता का विकास करे।

इससे पहले, इस अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन के दूसरे व अन्तिम दिन पहले प्लेनरी सेशन में चर्चा की शुरूआत करते हुए इंग्लैण्ड से पधारे शिक्षाविद् ज्योफ स्मिथ, फाउण्डर मेम्बर, यूके एसोसिएशन ऑफ कैरेक्टर एजूकेशन, ने ‘कैन यू सी द ट्री विदिन द टाइनी शेड’ विषय पर जोरदार शब्दों में अपनी बात रखी। श्री स्मिथ ने कहा कि प्रत्येक बालक अपने आप में एक लीडर है एवं उनमें क्षमता की कमी नहीं है परन्तु जरूरत प्रोत्साहन व मार्गदर्शन की है जिसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त माध्यम शिक्षक ही हैं। उन्होंने कहा कि केवल पढ़ाना-लिखाना ही शिक्षा का हिस्सा नहीं हैं, यह तो जीवन में निरन्तर प्रयास द्वारा उत्कृष्टता से अपनी पहचान बनाती है।

पुणे से पधारे शिक्षाविद् दीपक दलाल, ‘वाइल्ड लाईफ एडवेन्चर स्टोरीज फॉर चिल्डेन एण्ड एडल्ट्स’ के लेखक ने कहा कि बच्चों में पुस्तकें पढ़ने एवं प्रकृति से जुड़े रहने की प्रेरणा देना आवश्यक है क्योंकि बच्चे हमारे वर्तमान हैं जिन्हें हमें भविष्य के लिए तैयार करना है। दूसरे प्लेनरी सेशन में विभिन्न विद्यालयों से पधारी प्रधानाचार्याओं ने ‘द रोल ऑफ स्टेकहोल्डर्स इन क्वालिटी एजूकेशन’ पर गहन चर्चा-परिचर्चा की। परिचर्चा में भाग लेते हुए विद्यांचल स्कूल, पुणे की प्रधानाचार्या सुनीता फड़के ने कहा कि चारित्रिक शिक्षा वह छाता है जो हमारी सामाजिक मान्यताओं को सुरक्षित रखता है। यदि हम दिल, दिमाग तथा क्रियान्वयन में सामंजस्य रखेंगें तो कभी फेल नहीं होंगे। शालिनी सिन्हा, प्रधानाचार्या, स्टडी हाल स्कूल, लखनऊ, ने कहा कि शिक्षा किताबों में ही नहीं है और यह सिर्फ जीवनयापन का एक साधन नहीं होना चाहिए।

हमें प्यार, समानता तथा सहानुभूतिपूर्वक रहना आना चाहिए। इसी प्रकार, नलिनी सेनगुप्ता, प्रधानाचार्या, विद्या वैली स्कूल, पुणे एवं रामविलास, प्रधानाचार्य, आरएसबीएन मान्टेसरी स्कूल, लखनऊ ने भी अपने सार्थक विचार व्यक्त किये। सम्मेलन के समापन सत्र में देश-विदेश से पधारे शिक्षाविदों के प्रति हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सीएमएस की संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गांधी ने कहा कि आपने शिक्षा को नया स्वरूप देने की पहल की है उसके लिए शिक्षा जगत आपका ऋणी रहेगा। शिक्षा के स्तर में सुधार लाने हेतु यह सम्मेलन बुहत ही उपयोगी रहा है और इसके परिणाम अवश्य ही देखने को मिलेंगे। सम्मेलन की संयोजिका एवं सी.एम.एस. के कैरेक्टर एजूकेशन एवं यूथ इम्पॉवरमेन्ट विभाग की हेड फरीदा वाहेदी ने कहा कि शिक्षा व शिक्षक ही विश्व का कल्याण कर सकते हैं अतः समय रहते पूरे मनोबल व उत्साह से मानवता की शिक्षा पर बल देते हुए छात्रों में प्रेम, शान्ति व एकता की शिक्षा फैलाएं। वर्तमान परिवेश में शिक्षकों को भी अपनी सोच व्यापक बनानी होगी तभी वे छात्रों को सही राह पर ले जा सकते हैं।

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