बांदा : स्मारक घोटाले में प्रवर्तन निदेशायल की जगह जगह छापेमारी के बाद बसपा से मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी का बयान आया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में मेरा कोई लेना देना नहीं है। चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी फाइल पर मेरे हस्ताक्षर दिखा दें तो मैं आज ही आत्मसमर्पण कर दूंगा। शुक्रवार को अपने अलीगंज आवास में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले में लोकायुक्त रहे एनके मल्होत्रा ने द्वेष के कारण मुझे आरोपित बनाया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार जाने के बाद विधान परिषद में मैं प्रतिपक्ष का नेता था। उस समय लोकायुक्त का कार्यकाल 6 साल था। जिसे दो वर्ष बढ़ाने का प्रस्ताव विधानसभा में लाया गया। प्रस्ताव विधानसभा में पारित हो गया, लेकिन जब उसे विधान परिषद में लाया गया तो मैने आपत्ति की। इस पर लोकायुक्त ने भी मुझसे इसमें सहयोग करने का अनुरोध किया था, लेकिन यह बिल विधान परिषद में गिर गया। इसी द्वेष में मेरा नाम स्मारक घोटाले में शामिल किया गया।
उन्होंने यह भी बताया कि स्मारक निर्माण के लिए प्रमुख सचिव पीडब्लूडी की अध्यक्षता में एक बोर्ड बनाया गया था। इस बोर्ड की बैठक पीडब्लूडी मंत्री के आवास में हर माह होती थी। इसके लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए थे कि हर माह निर्माण कार्य की समीक्षा की जाए। पीडब्लूडी मंत्री होने के कारण मुझे समीक्षा करना होता था। एफआईआर में यही दर्शाया गया है कि मंत्री के आवास स्थित कैंप कार्यालय में हर माह होने वाली बैठक में लेन-देन का मामला तय होता था। सिद्दीकी ने दावा किया इस मामले में सारे आरोप तथ्यहीन हैं। यदि स्मारक निर्माण से सम्बन्धित किसी भी फाइल पर मेरे हस्ताक्षर मिले तो मैं आज ही न्यायालय में समर्पण कर दूंगा। बसपा से निष्कासित होने के बाद कांग्रेस में शामिल सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए कहा कि यह पहली बार हुआ है जब देश के चार न्यायाधीशों को प्रेस के सामने आकर कहना पड़ा कि लोकतंत्र खतरे में है। सीबीआई के निदेशक को रातोंरात हटाया गया और रिजर्व बैंक के गर्वनर को इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी में भारी घोटाला हुआ है, अन्यथा सौ फीसदी 500-1000 के नोट जमा होने के बाद भी 4 लाख करोड़ रुपये नेपाल सहित अन्य देशों में कैसे पड़े हैं।