चीन के किंघाई प्रांत में मठों में विशेष कक्षाओं में तिब्बती बच्चों के शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह क्षेत्र तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र से सटा हुआ है. ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) ने बुधवार को यह जानकारी दी. एचआरडब्ल्यू की चीनी निदेशक सोफी रिचर्डसन ने कहा कि आधिकारिक रूप से पिछले महीने प्रकाशित हुआ यह प्रतिबंध शिक्षा से लेकर सांस्कृतिक जीवन तक मूल अधिकारों की लंबी सूची का उल्लंघन करता है.
समाचार एजेंसी एफे ने उनके हवाले से कहा कि तिब्बती बच्चों को बौद्ध भिक्षुओं और मठों से संपर्क रखने से रोकने से सिर्फ तिब्बतियों का डर ही बढ़ेगा कि चीन तिब्बत की संस्कृति और धर्म पर प्रतिबंध लगाता है. रिपोर्ट के अनुसार, बौद्ध भिक्षुओं द्वारा पढ़ाई जाने वाली अनौपचारिक कक्षाएं विशेषकर उनकी भाषाएं स्कूली छुट्टियों के दौरान तिब्बतियों के बीच लोकप्रिय होती हैं. उनकी भाषा का विभिन्न पब्लिक स्कूलों में बहुत कम उपयोग किया जाता है.
नांगचेन प्रांतीय प्रशासन ने इन कक्षाओं को अवैध मानते हुए और इन्हें युवाओं में वैचारिक घुसपैठ करने वाला, खतरनाक और हानिकारक मानते हुए इनपर दिसंबर 2018 में प्रतिबंध लगाया था. प्रांतीय प्रशासन ने मठ चलाने वाले मुक्त स्कूलों से होने वाले नुकसानों को समझने के लिए मठों का प्रबंधन करने वाले स्थानीय अधिकारियों से भी मुलाकात की थी और उन्हें ऐसा करने से रोका था और ऐसे सत्र आयोजित करने वाले बौद्ध भिक्षुओं को निष्काषित कर दिया है.