अभी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन सियासी सरगर्मी तेज है. सभी सियासी दल जीत सुनिश्चित करने के लिए हर दांव आजमा रहे हैं. बिहार में भी इसका खासा असर देखा जा रहा है. बिहार में मौजूदा राजनीतिक स्वरूप पर अगर गौर करें तो यहां मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और महागठबंधन के बीच है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद कांग्रेस उत्साहित है. पार्टी को मजबूत करने के लिए हर दांव आजमाए जा रहे हैं. यहां तक कि बाहुबलियों से भी मदद लेने में गुरेज नहीं किया जा रहा है.
बिहार की राजनीति में बाहुबलियों के दबदबा का लंबा दौर रहा है. तिहाड़ जेल में सजा काट रहे शहाबुद्दीन हों, या फिर कभी कोशी में आतंक का प्रयाय रहे मधेपुरा से सांसद पप्पू यादव हों, गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में सजा काट रहे आनंद मोहन हों, सूरजभान सिंह, सुनील पांडेय या फिर छोटे सरकार के नाम से विख्यात अनंत सिंह जैसे लोगों के आतंक की 90 के दशक में बिहार में कई किस्से सुनने को मिलते थे.
कांग्रेस के रोड शो में देखे गए अनंत सिंह
मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह ने जमुई लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. वह भले ही यह कह रहे हों कि निर्दलीय भी चुनाव लड़ेंगे, लेकिन उनके कांग्रेस उम्मीदवार बनने की चर्चा उस समय तेज हो गई जब वह राहुल गांधी की प्रस्तावित रैली के लिए आयोजित रोड शो में शामिल हुए. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव को भले ही अनंत सिंह से भले ही पहरहेज हो, लेकिन कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने उन्हें लोकप्रिय नेता करार दिया है. अनंत सिंह भी कई मौकों पर अपने अंदाज में यह कह चुके हैं कि उनकी बात कांग्रेस से हो गई है.
लवली आनंद ने थामा कांग्रेस का दामन
अब बात आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद की, जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस का दामन थामा है. आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में वर्षों से जेल में बंद हैं. पटना हाईकोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष की मौजूदगी में लवली आनंद को पार्टी की सदस्यता दिलायी गई.
शिवहर सीट से चुनाव लड़ सकती हैं लवली आनंद
महागठबंधन के घटक दलों के बीच भले ही सीटों का बंटवारा नहीं हुआ हो, लेकिन सीट के हिसाब से नेताओं को पाले में करने का निरंतर प्रयास जारी है. अपनी पार्टी की छवि बदलने की कोशिश करते दिख रहे तेजस्वी यादव भले ही ऐसे नेताओं से परहेज का ऐलान कर चुके हैं, बावजूद कांग्रेस बाहुबलियों से संपर्क साधने से गुरेज नहीं कर रही है. आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को लेकर भी चर्चा तेज है कि वह शिवहर से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं.
कांग्रेस की टिटक पर चुनाव लड़ सकते हैं पप्पू यादव
बिहार की राजनीति ने उस दौर को भी देखा था जब राज्य में अपराध का बोलबाला था. उसी समय पप्पू यादव का भी सियासी पदार्पण हुआ था. उन्हें लोग बाहुबली के रूप में जानने लगे थे. हालांकि वह अपनी इस छवि के लिए सीधे लालू यादव को दोषी ठहराते हैं. एक अखबार को दिए इंटरव्यू में पप्पू यादव ने कहा था, ‘मैं तो एक साधारण छात्र था. लालू का प्रशंसक था. उनको अपना आदर्श मानता था, लेकिन लालू मेरे साथ बार-बार छल करते गए. मुझे बिना अपराध किए ही कुर्सी का नाजायज फायदा उठाते हुए कुख्यात और बाहुबली बना दिया.’
एक जमाने में कोशी क्षेत्र में आतंक का प्रयाय रहे मधेपुरा सांसद और जनअधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने भले ही अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की हो, लेकिन कयासों का बाजार गरम है कि वह भी कांग्रेस की टिकट पर ही लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. वजह यह है कि पप्पू यादव जिस कदर लगातार आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बेटों (खासकर तेजस्वी यादव) के खिलाफ बयान देते रहते हैं उससे तो यही लग रहा है कि उनकी आरजेडी में एंट्री फिलहाल संभव नहीं है. 2014 के चुनाव में वह आरजेडी की टिकट पर ही वह चुनाव लड़े थे और सांसद बने थे. ज्ञात हो कि उनकी पत्नी रंजीता रंजन सुपौल से कांग्रेस पार्टी की सांसद हैं.
आरजेडी और तेजस्वी यादव भले ही बाहुबलियों से परहेज का बात कर रहे हों, लेकिन कांग्रेस लगातार इन बाहुबलियों को साधने में जुटी है. ऐसे में सवाल तो उठेंगे ही क्या बिहार में कांग्रेस बाहुबलियों के सहारे अपना मिशन-2019 को पूरा करेगी? क्या बिहार में बाहुबलियों का हाथ, कांग्रेस के साथ है?