देसी कोच फैक्टरी में निर्मित ट्रेन-18 का परिचालन जल्द शुरू होने वाला है. इस ट्रेन के परिचालन के लिए सभी प्रकार की सुरक्षा संबंधी मंजूरी मिल चुकी है. इसका किराया शताब्दी एक्सप्रेस से करीब 40-50 फीसदी अधिक है. पहली ट्रेन नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चलेगी.
अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने ट्रेन के परिचालन का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा करवाने के मकसद से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से संपर्क किया है. अधिकारियों के अनुमसार, प्रधानमंत्री बजट पेश होने के बाद इस ट्रेन के परिचालन का शुभारंभ कर सकते हैं. मालूम हो कि वाराणसी मोदी का संसदीय निर्वाचन क्षेत्र है.
सरकार के इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की अंतिम मंजूरी गुरुवार को मिली
अधिकारियों ने बताया कि इंजन रहित ट्रेन-18 को सरकार के इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर की अंतिम मंजूरी गुरुवार को मिली. उन्होंने कहा, ‘हमने नई दिल्ली-वाराणसी मार्ग पर ट्रेन के परिचालन के उद्घाटन के लिए पीएमओ से समय मांगा है.’
इसी महीने रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ट्रेन-18 नई दिल्ली और वाराणसी के बीच चलेगी. यह ट्रेन 755 किलोमीटर की दूरी आठ घंटे में तय करेगी. इस रूट पर ट्रेन का ठहराव कानपुर और प्रयागराज में होगा. वर्तमान में सबसे तीव्रगामी ट्रेन को इस दूरी को तय करने में साढ़े ग्यारह घंटे का समय लगता है.
इस ट्रेन के एग्जिक्यूटिव क्लास का किराया 2,800 रुपये से 2,900 रुपये के बीच और चेयर कार का किराया 1,600 रुपये से 1,700 रुपये के बीच रहेगा.
आईसीएफ में किया गया है ट्रेन का निर्माण
ट्रेन का निर्माण चेन्नई स्थित इंटिग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) में किया गया है. इसका परिचालन परीक्षण रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ), लखनऊ की देखरेख में किया गया है.
परीक्षण के दौरान ट्रेन का 180 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से परिचालन सफल रहा. यह ट्रेन अधिकतम 200 किलोमीटर की रफ्तार से चलने में सक्षम है. अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन-18 मेट्रोल ट्रेन की तरह इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर चलती है और यह अगले साल से शताब्दी एक्सप्रेस की जगह लेना शुरू कर देगी.