नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव को राहत देते हुए फेसबुक, गूगल, यूट्यूब और ट्विटर को निर्देश दिया है कि वे बाबा रामदेव के खिलाफ आरोपों से संबंधित वीडियो के लिंक को 72 घंटें में हटाएं। कोर्ट ने इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ये भी निर्देश दिया कि वो इन वीडियोज के सब्सक्राइबर्स की सूचना सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपें। मामले पर अगली सुनवाई 5 अप्रैल को होगी। वीडियो को देखने के बाद जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा कि इन वीडियो में उन पुस्तकों के अंश हैं, जिसे पिछले साल हाईकोर्ट ने हटाने का आदेश दिया था। 29 सितम्बर, 2018 को हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव के बारे में लिखी गई पुस्तक ‘गॉडमैन टू टाइकून-द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बाबा रामदेव’ को छापने, डिस्ट्रिब्यूट या बेचने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा कि इस पुस्तक के अंश वीडियो के जरिये फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर डाले गए हैं।
कोर्ट ने कहा कि पूरी दुनिया में पुस्तक के अंश वाले वीडियो हटाए जाएं या नहीं इस मसले पर सुनवाई की अगली तिथि को विचार किया जाएगा। उसी दिन सभी पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी। 2018 में बाबा रामदेव ने जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित होने वाली इस पुस्तक को छापने से रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि पुस्तक जिसके बारे में लिखी गई है उनकी गरिमा का ध्यान रखा जाना चाहिए और जब तक कोर्ट में ये प्रमाणित नहीं हो जाए तब तक उन्हें खलनायक के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि ये पुस्तक संविधान की धारा 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। हाईकोर्ट ने प्रकाशक की इस दलील को खारिज कर दिया था कि उसका मकसद बाबा रामदेव को बदनाम करना कतई नहीं था।