लड़कों को दें नैतिकता का ज्ञान ताकि बेटियों को मिले बराबरी का सम्मान!

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ : बाराबंकी के राजकीय बालिका इंटर कालेज में आयोजित भाषण प्रतियोगिता में छात्राओं ने दिया संदेश

बाराबंकी : समाज में छोटी बच्चियों के प्रति भेदभाव और लैंगिक असमानता की ओर ध्यान दिलाने के लिए स्थानीय जनपद में सरकार की महत्वपूर्ण योजना बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का विभिन्न विद्यालयों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत स्लोगन व भाषण प्रतियोगिता सहित अन्य विभिन्न प्रतियोगिताएं छात्राओं के मध्य कराई जा रही है जिसमें शनिवार तक 25 विद्यालयों के सैंकड़ों छात्रों ने प्रतिभाग किया। इस सम्बन्ध में जिला महिला कल्याण अधिकारी पूजा जायसवाल ने बताया कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना समाज में लड़कियों के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए की गई है, जिसके तहत कन्या भ्रूण हत्या को पूरी तरह समाप्त किया जा सके। उन्होंने जनपद वासियों से लड़के की भांति ही लड़की के जन्म पर खुशी मनाने और उसे पूरी जिम्मेदारी से शिक्षित करने के लिए आगे आने की अपील की है। उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता राष्ट्रीय बालिका दिवस यानि 24 जनवरी को आयोजित की जायेगी।
जागरूकता अभियान के प्रथम दिवस पर राजकीय बालिका इंटर कालेज परिसर में जिला स्तरीय स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता में 20 कालेजों से 40 छात्रों ने प्रतिभाग किया। यह प्रतियोगिता कालेज की प्रधानाचार्या क्षमता रावत की देखरेख में करायी गई। उन्होंने बताया कि सरकार के मंशाअनुरूप बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जागरूकता कार्यक्रम किये जा रहे है। स्लोगन प्रतियोगिता के माध्यम से समाज में बेटी के प्रति स्नेह व बेटिओं की महत्ता के प्रति जागरूक किया गया। इस क्रम में शहर के लखपेड़ाबाग स्थित पायनियर मांटेसरी इंटर कालेज परिसर में बेटी बचाओ, विषय पर जिला स्तरीय भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में 25 विद्यालयों से दो—दो छात्राओं ने प्रतिभाग किया। भाषण प्रतियोगिता में बेटियों यानि छात्राओं ने विविध दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला। इसके माध्यम से संदेश दिया गया कि लड़कों को नैतिकता का ज्ञान दिया जाये, जिससे वह लड़कियों व महिलाओं को बराबर का सम्मान दें, न कि विविध सामाजिक कुप्रथाओं के चलते बेटिओं के प्रगति मार्ग को बाधित करें।
इस मौके पर कालेज की प्रधानाचार्या ने कहा कि इन बेटिओं के भाषण में मां की व्यथा की झलक दिखाई दी। उन्होंने कहा कि सभी को सामाजिक कुरीतियों वाली सोच को बदलने से ही बेटियां बचेंगी और बेटियां पढ़ेंगी। प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल मेँ जिला समन्वयक नेहा गुप्ता, जिला महिला कल्याण अधिकारी पूजा जायसवाल व मंजू श्रीवास्तव के आकलन के बाद प्रतियोगिता का परिणाम बालिका दिवस पर घोषित किया जायेगा। इस मौके पर रूचि शर्मा नागेश, पूनम गौड़ संध्या राजपूत, मनोरमा चौरसिया, मनु श्रीवास्तव आदि मौजूद रहीं।

बाराबंकी जिले में साक्षरता के आंकड़े

सरकार द्वारा कराये गये 2011 की जनगणना के अनुसार बाराबंकी की आबादी 3,260,699 है जिसमे पुरुषों की आबादी 1,707,073 और महिलाओं की आबादी 1,553,626 है। 2001 की तुलना में 2011 में बाराबंकी की आबादी में 21.96% का इज़ाफा हुआ, यह बढ़ोत्तरी 1991 से 2001 के बीच 26.54% थी। यहाँ प्रति 1000 लोगों पर 910 महिलायें हैं । बाराबंकी में वर्तमान में साक्षरता दर 51.90% है, इसमें पुरुषों की 59.20% तथा महिलाओं की साक्षरता दर 43.89% है। बाराबंकी अभी भी शहरीकरण से दूर है यहाँ की 89.85% आबादी अभी भी गांवों में रहती है। साक्षरता की बात करे तो जिले की औसत साक्षरता दर जहाँ 2001 में 47.39% थी वो अब बढ़कर 61.75% हो चुकी है, इनमे पुरुषों की साक्षरता दर 70.27% और महिलाओं की साक्षरता 52.34% है।

घटना लिंगानुपात चिंतनीय

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 5 करोड़ लड़कियों की कमी है।बच्चों के लिंग अनुपात जो 0-6 वर्ष आयु के प्रति 1000 लड़कों के तुलना लड़कियों की संख्या से निर्धारित होता है। भारत देश के आजादी के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी जिसमें पाया गया कि 1000 लड़कों पर सिर्फ 945 लड़कियां ही है लेकिन आजादी के बाद स्थिति और भी खराब होती गई। 2001 में घटकर 927 रह गया और वर्ष 2011 में यह आंकड़ा 918 हो गया। लड़कियों की इतनी कम जनसंख्या होना यह किसी आपदा से कम नहीं है। यह बच्चे के लिंग चुनाव द्वारा जन्मपूर्व भेदभाव और लड़कियों के प्रति जन्म उपरांत भेदभाव को दर्शाता है। इस मानसिकता के दिन प्रतिदिन बढ़ने के कारण बेटियों की जनसंख्या में कमी आने लगी क्योंकि बेटियों को गर्भ में ही मारे जाने लगा है।

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