जल संकट की वजह से देश में बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या और बढ़ सकती है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कई बैंकों ने उन क्षेत्रों को कर्ज दिया हुआ है जहां जल संसाधनों को जोखिम है. वन्य जीवों के संरक्षण पर काम करने वाले वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की ओर से बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे समय जबकि बैंकिंग क्षेत्र एनपीए की बढ़ती समस्या से जूझ रहा है, जल जोखिमों की वजह से बैंकों की नकदी की स्थिति और खराब हो सकती है और इससे उनके बही खाते पर दबाव बन सकता है.
इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के सहयोग से जारी डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया की रिपोर्ट ‘छिपे जोखिम और अप्रयुक्त अवसर: जल और भारतीय बैंकिंग क्षेत्र’ में बताया गया है कि कैसे जन बैंकों के लिए जोखिम पैदा करता है. कैसे जल जोखिम की वजह से बिजली और कृषि क्षेत्र की संपत्तियां बेकार पड़ी रह सकती हैं.
इन दो क्षेत्रों को भारतीय बैंकों द्वारा सबसे अधिक कर्ज दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बैंकों द्वारा दिए गए कुल कर्ज का 40 प्रतिशत ऐसे क्षेत्रों में है जहां जल जोखिम की संभावना अधिक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बैंकों के कुल कर्ज का 10 प्रतिशत पहले ही एनपीए बन चुका है.
बैंकों के समक्ष कर्ज लेने वालों द्वारा उसकी अदायगी नहीं करने का संकट बना हुआ है. इन जोखिमों की वजह से बैंकों की नकदी की स्थिति और प्रभावित होगी. नीति आयोग के निष्कर्ष का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मौजूदा जलसंकट इस समय अपने सबसे गंभीर स्तर पर है.