नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने मंगलवार को नागौर जिले में स्टोन क्रशर से हो रहे प्रदूषण पर लगाम लगाने में नाकाम रहने पर राजस्थान सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस रघुवेंद्र एस राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व सचिव डॉ एबी अकोलकर को इस मामले में मौके पर जाकर मुआयना करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया। वे नागौर जाकर इलाके का निरीक्षण करेंगे और एनजीटी को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे। एनजीटी ने डॉ अकोलकर को 18 फरवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने नागौर के एसपी को निर्देश दिया कि वे डॉ अकोलकर को पूरा सहयोग करें। अगर उनकी जांच के दौरान प्रशासन ने पूरा सहयोग नहीं किया तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
सुनवाई के दौरान बेंच के सदस्य एसएस गबरयाल ने राजस्थान सरकार से कहा कि इस मसले को आप गंभीरता से लें। एनजीटी ने कोर्ट कमिश्नर की फीस एक लाख रुपये तय की जो राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वहन करेगा। एनजीटी ने कहा कि राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस रकम की भरपाई पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करनेवाले से वसूल कर कर सकता है। याचिका नागौर के निवासी भंवर राम ने दायर की थी। याचिका में उन्होंने एनजीटी के 2 सितंबर 2015 के आदेश का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की थी। एनजीटी ने नागौर के सभी अवैध स्टोन क्रशर्स को बंद करने का आदेश दिया था। एनजीटी ने ये भी आदेश दिया था कि वन और पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण कमेटी का संयुक्त जांच दल स्टोन क्रशर्स की जांच करेगा और इस बात की रिपोर्ट दाखिल करेगा कि उन्होंने प्रदूषणरोधी उपकरण लगाए हैं कि नहीं।