नव भारत निर्माण और विकास यात्रा में भागीदार बने युवा प्रवासी भारतीय

प्रवासी भारतीय सम्मेलन में विदेश मंत्री ने किया आहृवान

वाराणसी : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दुनिया भर में फैले युवा भारतीय प्रवासियों का आह्वान किया कि वे भारत की विकास यात्रा और नए समृद्ध भारत के निर्माण में भागीदार बने। तीन दिवसीय 15वें प्रवासी भारतीय दिवस समारोह के पहले दिन सोमवार को युवा प्रवासी दिवस समारोह का उद्धाटन करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि युवा प्रवासी भारतीयों के पूर्वजों ने विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए अजनबी देशों में अपने लिए स्थान बनाया था और सफलता अर्जित की थी। अब युवा प्रवासियों के लिए नया भारत उपलब्धियों की नयी संभावनाएं मुहैया करा रहा है। नए भारत की इस विकास यात्रा में युवा प्रवासियों को अपने और देशवासियों की भलाई के लिए भागीदार बनना चाहिए। प्रवासी भारतीय यहां आकर अपनी जड़ों से तो जुड़ेंगे ही साथ ही उन्हें कामकाज की सभी सुविधाएं मिलेंगी जिससे उनके लिए सफलताओं के अनगिनत द्वार खुलेंगे।
उन्होंने देश की जनसंख्या में युवा और कामकाजी आयुवर्ग की प्रचुर संख्या का उल्लेख करते हुए कहा कि जहां दुनिया के अन्य देश बूढ़े हो रहे हैं वहीं भारत दिन प्रति दिन युवा हो रहा है। देश की जनसंख्या की औसत आयु 29 वर्ष है और जनसंख्या का 64 प्रतिशत हिस्सा कामकाजी आयुवर्ग में है। 41 प्रतिशत जनसंख्या बीस वर्ष के आयुवर्ग में है। यह सब भारत को दुनिया में मानव संसाधन , उद्यमिता और कौशल का केंद्रस्थल बना रहा है। विदेशमंत्री ने दुनिया के विभिन्न देशों में फैले प्रवासी भारतीयों के शताब्दियों के अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि कभी व्यापारी और धर्मप्रचारकों के रूप में भारत के लोग देश से बाहर गए थे। उपनिवेशवाद के दौर में गन्ना और रबर की खेती के लिए मजदूरों के रूप में इन लोगों को दूर दराज के देशों में ले जाया गया था। पिछले कुछ दशकों में उच्च शिक्षा प्राप्त वैज्ञानिक, शोधकर्ता, उद्यमी और अन्य पेशेवर लोगों ने विदेशों में सफलता के झंडे गाड़े हैं और देश का नाम ऊंचा किया है। दुनिया में भारत की नयी पहचान बनी है। आज का भारत ऐसे सफल प्रवासियों को देश में ही काम काम करने, फैलने फूलने और विकास यात्रा में भागीदार बनने का अवसर प्रदान कर रहा है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के अनेक देशों में कार्यरत बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भारतीय शीर्ष पदों पर हैं। विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में भी उनकी मौजूदगी है। ऐसे सभी लोगों को स्वदेश आकर अवसरों का भरपूर उपयोग करना चाहिये। उन्होंने गूगल के सुन्दर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला और अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की गीता गोपीनाथ का उल्लेख करते हुए कहा कि इन लोगों ने भारत की उद्यमशीलता और कौशल का लोहा मनवाया है। विदेशमंत्री ने कहा कि इस समय करीब साढ़े सात लाख भारतीय छात्र विदेशी शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत हैं। हमारा प्रयास है कि देश में ही उच्च शिक्षा और कौशल विकास की ऐसी आधारभूत सुविधाएं कायम की जाएं जिससे दुनिया भर के छात्र यहां आने के लिए आकर्षित हों। आई आई टी और आईआईएम के रूप में प्रतिष्ठत संस्थान हैं और अत्याधुनिक शोध सुविद्याएं हैं। वज्र, ज्ञान और मिशन शोध गंगा के जरिये शिक्षा और शोध की नयी सुविधाओं का प्रबंध किया गया है।

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