नई दिल्ली : भारतीय जनसंचार संस्थान(आईआईएमसी) के महानिदेशक के.जी. सुरेश ने सांकृतिक संगठन ‘उड़ान’ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय लेखन कार्यशाला को संबोधित करते हुए छात्रों को अधिक से अधिक अध्ययन और लेखन की सलाह देते हुए कहा कि सफल पत्रकार के लिए निरीक्षण की क्षमता बेहद जरूरी है। केजी सुरेश ने कहा कि अच्छा पत्रकार बनने के लिए जितना हो सके उतना पढ़ें। उन्होंने राजनीति से इतर विषयों पर लेखन की अपील करते हुए कहा कि आज राजनीति के बाहर भी खूबसूरत दुनिया है। उससे बाहर भी लेखन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पढ़ने के साथ-साथ लिखने का अभ्यास जरूरी है और निरीक्षण की क्षमता एक सफल पत्रकार में अवश्य होनी चाहिए।
प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंद कुमार ने कहा कि साहित्य वही सार्थक है जिससे आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति मिले। उन्होंने कहा कि कला में सत्यम-शिवम-सुंदरम वाला दृष्टिकोण होना चाहिए। लेखन मन से होना चाहिए और हमारा अध्ययन कक्ष पूजा घर की तरह पवित्र होना चाहिए। उन्होंने बताया कि पत्रकारों को स्वयं के लेखन का क्रूर संपादक बनना चाहिए। अधिवक्ता संजीव उन्याल ने भी लेखन के लिए सृजनात्मकता, मौलिकता और अध्ययन पर बल दिया। उनका विचार था कि सभी के अंदर एक कवि विद्यमान है और अपने भीतर की कलाओं को तराशने की जरूरत है।
वरिष्ठ मीडिया विशेषज्ञ राहुल कश्यप ने समाचार के बारे में विस्तार से बताया। टीवी न्यूज और अखबार लेखन में क्या अंतर है। छात्र एवं छात्राओं को प्रिंट, डिजीटल और टीवी न्यूज तीन समूहों में बांटकर लेखन संबंधी गतिविधि भी कराई। पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने प्रेस रिलीज, पुस्तक की समीक्षा और रिपोर्ट लेखन के बारे में बताया। लेखन में विशेष रूप से जिज्ञासा रूपी ज्ञान और स्वान्त: सुखाय पर बल दिया। युवा कवि नितिन सोनी ने प्रकाशन के विभिन्न आयामों को छात्रों के समक्ष रखा और बताया कि लेखन के चयन में लेखक को सदैव अपनी अन्तरात्मा की आवाज सुननी चाहिए। प्रख्यात लेखिका डॉ रश्मि ने बताया कि लेखक को कहानी का शिल्प जरूर पता होना चाहिए। कहानी या उपन्यास के लिए प्लाट बनाना बहुत जरूरी है। अपनी ही कहानी को समीक्षक बनकर पढ़ना चाहिए, लेखन रोज करना चाहिए और लेखन अलग-अलग विधाओं में करना चाहिए।