उत्तर प्रदेश सचिवालय में ई-ऑफिस व्यवस्था और चक्रीय स्थानान्तरण नीति जारी होने के बाद कंप्यूटर सहायक से विशेष सचिव तक के कर्मचारियों व अधिकारियों के तबादले की तैयारी है। सचिवालय प्रशासन विभाग ने तीनों श्रेणी में बिताए कार्यकाल का लेखा-जोखा सामने रखते हुए कर्मचारियों से अगली तैनाती का विकल्प मांगा है। इस महीने के अंत तक एक समूह से दूसरे समूह में तबादले हो जाएंगे।
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सचिवालय में करीब चार हजार अधिकारियों व कर्मचारियों में से अधिकतर वर्षों से एक ही विभाग में जमे हैं। पहले की स्थानान्तरण नीति इन्हें हटाने में सफल नहीं हुई। इसके बाद योगी सरकार ने चक्रीय स्थानान्तरण नीति बनाई। इसमें सचिवालय के कुल 93 विभागों के तीन समूह बनाए गए हैं।
हर समूह में 31 विभाग हैं। कोई भी अधिकारी व कर्मचारी चिह्नित समूहों में से किसी एक समूह के विभागों में पूरे सेवाकाल में अधिकतम 12 वर्षों तक रह सकता है। इसके बाद अनिवार्य रूप से दूसरे समूह के विभाग में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। हालांकि एक ही विभाग में पद के अनुसार कर्मचारी तीन से सात वर्ष तक तैनात रह पाएंगे। गोपन अनुभाग-1 को स्थानान्तरण नीति से मुक्त रखा गया है।
चुनाव से तबादले का होगा असर
योगी सरकार की चक्रीय स्थानान्तरण नीति से सचिवालय में करीब 1000 से 1100 कर्मचारी और अफसर इधर- उधर हो सकते हैं। कई अनुभागों और विभागों में आधे से अधिक कर्मियों के हटने की नौबत आ सकती है। लोकसभा चुनाव से पहले इतने बड़े स्तर पर तबादलों का असर शासन के निर्णयों के क्रियान्वयन और योजनाओं के अमल पर पड़ सकता है। मगर, नीति की खास बात यह है कि अधिकारियों व कर्मचारियों की वर्षों से तैनाती से जो एकाधिकार बना हुआ है, वह टूटेगा और कामकाज में पारदर्शिता आएगी।
इस तरह होगा तबादला
समूह-1 के विभागों में कई पदों पर कार्य करते हुए यदि किसी कार्मिक की कार्य अवधि 12 वर्ष पूरी हो जाती है तो उसे समूह-3 के विभागों में भेजा जाएगा।