प्रयागराज में मंगलवार को कुंभ का पहला शाही स्नान होगा. अल सुबह से ही श्रद्धालु यहां पर आस्था की डुबकी लगाएंगे. माना जा रहा है कि पहले ही दिन संगम पर लाखों लोग डुबकी लगा सकते हैं. करीब 45 दिन तक चलने वाले इस कुंभ मेले में अनुमान है कि 15 करोड़ से ज्यादा लोग आएंगे. देश ही नहीं इस कुंभ में विदेश से भी लोगों के आने का अनुमान है. 15 जनवरी से शुरू हुए ये कुंभ 4 मार्च तक चलेगा.
दूसरा शाही स्नान 4 फरवरी, तीसरा स्नान 10 फरवरी को होगा. कुंभ मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है. यहां पर लोगों के लिए लग्जरी टैंट की भी व्यवस्था है. किंवदंतियों के मुताबिक, पहला ‘शाही स्नान’ स्वर्ग का दरवाजा खोलता है, जिसकी शुरुआत मंगलवार को सुबह 5.30 बजे होगी और शाम 4.30 बजे तक चलेगा. श्रद्धालुओं के लिए गंगा नदी के किनारे 3,200 एकड़ क्षेत्र में छोटा शहर बसाया गया है.
यहां टेंट का किराया 2,100 रुपये से लेकर 20,000 रुपये प्रति रात तक है. इसके अलावा बड़ी संख्या में यहां पहुंचने वाले अखाड़ों और संतों के लिए डोर्मेटरी और टेंट स्टॉल लगाए गए हैं. कुंभ प्रशासन ने एक बयान में कहा, “इस बार कुंभ मेला में स्वच्छता पर विशेष जोर दिया गया है. पिछले सालों में शौचालय नहीं होने के कारण लोग खुले में शौच करने पर मजबूर थे, लेकिन इस साल 1,20,000 शौचालयों का निर्माण किया गया है और सफाईकर्मियों की संख्या दोगुनी रहेगी, ताकि स्वच्छता बरकरार रहे। पिछले कुंभ मेला में केवल 34,000 शौचालय थे.”
कुंभ में तीन दिन पहले ही जान सकेंगे मौसम का सटीक मिजाज
मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शुरु हो रहे कुंभ मेले में मौसम के मिजाज से तीन दिन पहले ही अवगत कराने वाली अत्याधुनिक सेवाओं को सोमवार को शुरु किया. विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और पर्यावरण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इन सेवाओं की शुरुआत करते हुये कहा कि कुंभ मेले के दौरान प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ये सेवायें लाभप्रद साबित होंगे। उल्लेखनीय है कि कुंभ मेला 2019 का आयोजन प्रयागराज में जनवरी से मार्च के दौरान किया जा रहा है.
डा हर्षवर्धन ने बताया कि इसके तहत प्रयागराज में चार अलग-अलग स्थानों पर स्वचालित मौसम केन्द्रों (एडब्लयूएस) की स्थापना की गई है। इसके अलावा एक मोबाइल वैन (एडब्ल्यूएस) को भी शुरु किया गया है. उन्होंने कहा, “इन सेवाओं के माध्यम से स्थान विशेष के मौसम की जानकारी न केवल स्थानीय और राज्य प्रशासन के लिए पूरे आयोजन के कुशल प्रबंधन में काफी मददगार साबित होगी, बल्कि मौसम की नवीनतम जानकारी मिलने से श्रद्धालुओं को भी सुविधा होगी.”