उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी के गठबंधन को लेकर कांग्रेस जरा भी परेशान या विचलित नहीं है। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर लोकसभा चुनाव लडऩे का मन बना लिया है।
लखनऊ में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में उत्तर प्रदेश के प्रभारी तथा राज्यसभा सदस्य गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस गठबंधन से हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश में तो हमने 80 सीट पर चुनाव लडऩे की तैयारी भी शुरू कर दी है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देश को एक बनाया था। कांग्रेस भी उसी राह पर चल रही है। हम सकारात्मक भाव से कोई भी काम करते हैं। अगर कोई हमारे साथ आता है तो हम स्वागत करते हैं, लेकिन कोई दबाव बनाने के प्रयास में रहता है तो हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
गुलाब नबी आजाद ने कहा कि संसद का सत्र पूरा होने के बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सवाल उठाया कि 70 साल में कांग्रेस ने कुछ नहीं किया। कांग्रेस ने देश को आजाद कराने की जिम्मेदारी ली। दर्जनों नेता, किसान, मजदूर और महिलाओं ने देश की आजादी में योगदान दिया। आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री ने उस देश को एक भारत बनाया, जो सैंकड़ों टुकड़ों में बंटा हुआ था। ऐसा भारत बनाया गया, जिसमें ऐसी व्यवस्था दी कि नागरिकों को धार्मिक, राजनीतिक न्याय मिले, विचार रखने का अवसर मिले। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई को अपने धर्म की पूजा-पाठ करने की पूरी आजादी मिले।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने अपना काम शुरू करने के पहले ही दिन कहा था कि सत्तर साल से शासन करने वाली कांग्रेस ने देश के लिए कुछ भी नहीं किया। जो पार्टी अपने स्वार्थ के लिए समाज को न बाटें, पार्टी वही होती है जो अपना नुकसान झेल ले, लेकिन देश को नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा की लड़ाई व्यक्तिगत नहीं है, सिद्धांतों की लड़ाई है। भारत को एक रखने की लड़ाई है। भारत को मजबूत करने और सभी को एक साथ रखने की लड़ाई है। यह पूरी दुनिया जानती है कि लोकसभा की लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच है। इसके बाद भी हम उन दलों का समर्थन जरूर लेंगे, जो हमारी मदद करेंगे। हम उन तमाम दलों का सम्मान करेंगे जो इसमें आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में तो बसपा व सपा ने चैप्टर ही बंद कर दिया है। गठबंधन फाइनल करने से पहले कम से कम हमसे बात तो कर लेते।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में अब तो कांग्रेस पार्टी पूरी शक्ति के साथ अपनी विचारधारा जो आजादी से पहले से अब तक पालन करते रहे हैं, उसका पालन करते हुए आगामी चुनाव लोकसभा में डटकर लड़ेंगे और भाजपा को हराएंगे। उन्होंने कहा कि यूपी में सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। जो दल इस लड़ाई में साथ देंगे हम उनका समर्थन लेंगे। अब तो लोकसभा की लड़ाई भाजपा कांग्रेस के बीच है। पार्टी राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरी ताकत के साथ लोकसभा चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि हम लोग वोट बटोरने की खातिर लोगों को आपस में न तो लड़ते हैं और न ही बांटते हैं। हम तो अपने काम पर वोट पा जाते हैं। हम भाजपा और मोदी की तरह वदा खिलाफ नहीं है। राहुल गांधी ने हर जगह पर किसानों की आवाज को बुलंद किया है।
गुलाम नबी आजाद ने भाजपा पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश में सबसे बड़े घोटाले मौजूदा केंद्र सरकार के समय में हुए है। इसके बाद भी यह लोग मानने तो तैयार नहीं है। यह तो वही मिसाल हो गई कि चोरी तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी। उन्होंने कहा कि भाजपा को राष्ट्रहित नहीं अपनी सरकार बनाने और पार्टी हित की चिंता है। इसके विपरीत कांग्रेस ने कई बार पार्टी का नुकसान कर देशहित को ऊपर रखा। देश हित में हम तो कई बार सदन में दो कदम पीछे भी हटे हैं। कांग्रेस को ओबीसी के लिए 90 के दशक में आरक्षण बिल लाई। पंडित नेहरू जी की सरकार ने दलितों के लिए आरक्षण पर काम किया। देश में दलित के साथ सबसे गरीब और कमजोर की लड़ाई सदैव कांग्रेस से ही लड़ी है।
कांग्रेस ने तो देश को आजाद कराने की लंबी लड़ाई लड़ी है। गांधी जी ने आजादी से पहले लंबी लड़ाई लड़ी। भारत का निर्माण गांधी जी और नेहरू जी के नेतृत्व में किया गया। आजादी के बाद के बाद पहले पीएम व कांग्रेस सरकार ने टुकड़ों में बंटे देश को भारत बनाया।
उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा ने गठबंधन करते हुए लोकसभा की 38-38 सीटों पर लडऩे का फैसला किया है, वहीं कांग्रेस को एक तरह से किनारे करते हुए महज दो सीटें दी हैं। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने दुबई से प्रतिक्रिया दी है कि कांग्रेस अपने दम पर लड़ेगी और चौंकाने वाले नतीजे आएंगे। इसके बाद आज लखनऊ में पार्टी के नेताओं की अहम बैठक है। गुलाम नबी आजाद की मौजूदगी में इस बैठक में पार्टी आगे की रणनीति का खुलासा हो गया है। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अकेले मैदान में उतरेगी।
गठबंधन का ऐलान करते समय मायावती ने कहा था, उपचुनावों में भाजपा को हराकर हमने रोकने की शुरुआत कर दी थी। इस चुनाव में तो कांग्रेस के उम्मीदवार की तो जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद चर्चा शुरू हुई कि सपा बसपा साथ आ जाएं तो भाजपा को सत्ता में आने से रोका जा सकता है। उन्होंने यहा भी कहा कि कांग्रेस के राज में घोषित इमरजेंसी थी और अब अघोषित। सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग कर प्रभावी विरोधियों के खिलाफ गड़े मुकदमे उखाड़ कर परेशान कर रहे हैं। कांग्रेस के साथ सपा बसपा गठबंधन का कोई खास फायदा नहीं होता। हमारे वोट तो ट्रासंफर हो जाता है लेकिन कांग्रेस का वोट ट्रान्सफर नहीं होता या अंदरूनी रणनीति के तहत कहीं और करा दिया जाता है। इसमें हमारी जैसी ईमानदार पार्टी का वोट घट जाता है।
सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस के न शामिल होने से मुस्लिम मतों के बंटने की आशंका है। ऐसे में गठबंधन के बावजूद सपा-बसपा को झटका लग सकता है। दरअसल, सूबे के तकरीबन 20 फीसद मुसलमानों पर चाहे सपा हो या बसपा या फिर कांग्रेस सभी की सदैव नजर रहती है। बसपा व सपा की सरकार बनाने में मुस्लिम मतों की सदैव बड़ी भूमिका देखी जाती है। भाजपा का मुकाबला करने के लिए गठबंधन की चर्चा शुरू होने पर माना जा रहा था कि सपा-बसपा के गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल होगी। ऐसे में मुस्लिम, दलित और यादव सहित अन्य पिछड़ी जातियों के वोटों का विखराव न होने से गठबंधन को बड़ा फायदा होगा।
वैसे तो पिछले लोकसभा चुनाव में मतदाताओं का जो रुख था उससे तो यही लगता है कि गठबंधन का गणित, भाजपा पर भारी पड़ सकता है। पिछले चुनाव में जहां भाजपा और सहयोगी दल को सूबे में 42.65 फीसद वोट मिले थे वहीं बसपा को 19.77 फीसद और सपा को 22.35 फीसद वोट मिले थे जो कि 42.12 फीसद होता है। 0.86 फीसद वोट हासिल करने वाले रालोद के अलावा अन्य छोटे दलों के शामिल होने पर गठबंधन, भाजपा पर भारी नजर आता हैै। मात्र दो सीट जीतने वाली कांग्रेस को सिर्फ 7.53 फीसद वोट मिले थे।