पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि जब तक बच्चे की भलाई के लिए जरूरी न हो तब तक नाबालिग के नाम प्रापर्टी को बेचने के आदेश कोर्ट भी जारी नहीं कर सकता है। हालांकि मां द्वारा बताई गई परिस्थितियों पर गौर करने के बाद हाईकोर्ट ने प्रापर्टी बेचने की अनुमति दे दी।
याचिका दाखिल करते हुए नाबालिग की मां ने हाईकोर्ट को बताया कि उसके ससुर ने बैंक से 40 लाख रुपये का लोन लिया था। इस दौरान उन्होंने अपनी वसीयत अपने पोते के नाम कर दी थी। बैंक का कर्ज चुकाने से पहले ही जून 2016 में उनकी मौत हो गई। इस दौरान बैंक लगातार पैसे की अदायगी के लिए दबाव डालने लगा। बैंक ने प्रापर्टी को बेचने का निर्णय ले लिया।
इसे बचाने के लिए याचिकाकर्ताओं ने बाहर से पैसा लेकर बैंक को भुगतान किया क्योंकि यदि बैंक प्रापर्टी बेचता तो वह औने-पौने दामों पर बिकती जबकि इसकी कीमत 60 लाख से अधिक है। अब बाहर से लिए गए पैसे का भुगतान करने के लिए उनके पास प्रापर्टी बेचने के अलावा कोई और जरिया नहीं है। बैंक की ओर से बताया गया कि प्रापर्टी की एवज में लिए गए कर्ज का भुगतान किया जा चुका है।