लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2019 के पूर्व यूपी में विपक्ष की ओर से सपा और बसपा के गठबंधन का आज औपचारिक एलान होगा। केंद्र और यूपी में सत्तासीन भाजपा के लिए यह यह सूचना किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव शनिवार को राजधानी के एक पंचसितारा होटल में गठबंधन का औपचारिक ऐलान करेंगे। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रदेश के सभी 80 सीटों पर खाका तैयार कर चुके हैं।
कांग्रेस से गठबंधन ना होने की दशा में भी दोनों दलों ने सोनिया गांधी की संसदीय सीट रायबरेली और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की संसदीय सीट अमेठी से गठबंधन का कोई प्रत्याशी नहीं उतारेंगे। जबकि राष्ट्रीय लोक दल के लिए गठबंधन द्वारा तीन सीटें छोड़ने की बात आ रही है। सूत्रों का दावा है कि राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष अजीत सिंह अभी भी सपा बसपा के गठबंधन और भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से सीटों के बंटवारे को लेकर बारगेनिंग कर रहे हैं।
सपा-बसपा गठबंधन से रालोद मुखिया अजीत सिंह 5 सीट मांग रहे हैं जबकि गठबंधन अभी तक उन्हें केवल मात्र 3 सीटें ही दे रहा है। देर शाम एक नया राजनैतिक डेवलपमेंट होने जी खबर आयी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अजित सिंह को 5 सीटें देने को तैयार हैं। लेकिन उनमें से अजित सिंह के पसंद की तीन सीटें ही मिल पा रही है। सूत्रों का दावा है कि यदि सपा-बसपा गठवन्धन उन्हें 4 सीटें भी दे देगा तो अजित सिंह उसके साथ आ जायेंगे। नहीं तो वह भाजपा के साथ जाकर पश्चिमी यूपी में माया-अखिलेश के मंसूबों पर पानी फेरने की कसरत में लग जाएंगे।
बता दें कि शनिवार को गठबंधन के ऐलान के समय कुछ भाजपा सांसद भी दोनों पार्टियों में शामिल होने थे, लेकिन मायावती ने रोक दिया। इस मुद्दे पर शनिवार की सुबह फैसला होगा। सपा मुखिया से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भविष्य में कुछ और छोटे दलों को गठवन्धन में शामिल किया जाएगा। इस गठबंधन के मुद्दे पर भाजपा नेता त्रिभुवन यादव ने कहा कि कमजोरों और दलितों की लड़ाई ताज से नहीं लड़ा जाता।ये दोनों पार्टियां अपनी अवैद्ध संपदा बचाने के लिए हाथ मिलाए हैं।