पूछा, जिन अफसरों ने अवैध खनन होने दिया उन पर क्या कार्रवाई हुई
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय की कोयला खदान में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए समन्वित प्रयास करने का आदेश दिया है। जस्टिस एके सिकरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी बल और राज्य के संसाधन को खदान में फंसे हुए मजदूरों को बचाने के लिए काम करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस सिकरी ने कहा कि बचाव अभियान जारी रखें, हो सकता है कि सभी मजदूर या उनमें से कुछ बचे हों। कोई भी चमत्कार हो सकता है। जस्टिस सिकरी ने पूछा कि जिन अफसरों ने अवैध खनन होने दिया उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई। हम इस नजरिए से भी मामले को देख रहे हैं। लेकिन फिलहाल बचाव कार्य पर फोकस करने की जरूरत है। पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि 14 दिसंबर को जब लोग फंसे थे, तभी इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि यहां अवैध खनन हो रहा था। इसलिए इसे सही तरीके से मेंटेन नहीं किया गया था। ये रैट होल माइन है। कोई नहीं जानता ,कौन सी सुरंग कहां जा रही है। तुषार मेहता ने कहा था कि ये पूरा एरिया 5 वर्ग किलोमीटर का है। नेवी के स्पेशल गोताखोर को भी लगाया है लेकिन दिक्कत ये है कि पास में ही नदी है। हम लगातार पानी निकाल रहे हैं। किर्लोस्कर पम्प लगाए गये है। पंप 1800 लीटर पानी हर मिनट निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि 12 डाइवर और बाकी टेक्निकल स्टाफ लगा हुआ है, पर उन्हें हर रैट होल में जाना पड़ रहा है। तब कोर्ट ने कहा था कि आप अवैध खनन माफिया पर एक्शन लीजिए लेकिन गरीब मजदूर क्यों परेशानी झेलें।