रोजगार की लालच में गांवों से लोगों का शहरों की तरफ तेजी से पलायन हो रहा है. इसलिए शहरों की आबादी बढ़ती जा रही है. गांव से शहर आने पर पेट भरने के बाद सबसे बड़ी समस्या रहने के लिए घर की होती है. किराए पर घर बहुत महंगे होते हैं. ऐसे में हर नौकरीपेशा लोगों की ये ख्वाहिश होती है कि शहर में अपना घर हो. लेकिन, जब तक आपकी अच्छी नौकरी नहीं है घर खरीदने के लिए होम लोन भी नहीं मिल पाता है. होम लोन लेने के लिए salaried और self-employed दोनों के लिए नियम-शर्तें एक जैसी हैं. बस अंतर है जमा किए जाने वाले दस्तावेजों में. होम लोन देते समय सबसे अधिक महत्व लोन लेने वाले की आय और कर्ज चुकाने की क्षमता को दिया जाता है.
सहयोगी वेबसाइट ज़ीबिज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, होम लोन लेने के लिए नौकरीपेशा व्यक्ति के पास किसी सरकारी या निजी कंपनी में स्थायी नौकरी का प्रमाण होना चाहिए, जबकि अपना काम करने वाले सेल्फ इंप्लॉइड प्रोफेशनल्स को अपने पेशेवर योग्यता और प्रेक्टिस के दस्तावेज देने पड़ते हैं. स्वरोजगार करने वाले लोग इनकम टैक्स रिटर्न के आधार पर होम लोन ले सकते हैं. होम लोन लेने के समय उम्र कम से कम 24 साल और लोन पूरा होने के समय उम्र 60 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए.
इस तरह अलग-अलग प्रकृति के रोजगार से जुड़े लोगों के दस्तावेजों में अंतर होता है, लेकिन होम लोन सभी ले सकते हैं. इसके लिए दो बुनियादी बातों पर ध्यान दिया जाता है. पहला, आपकी आमदनी और आपका क्रेडिट प्रोफाइल. आपकी आमदनी से लोन चुकाने की क्षमता के बारे में पता चलता है और क्रेडिट प्रोफाइल से पता चलता है कि आप लोन चुकाने के इच्छुक हैं या नहीं.
वेतनभोगी लोगों को आमतौर पर दस्तावेज के रूप में तीन महीने की सैलरी स्लिप, छह महीने का बैंक स्टेटमेंट, नवीनतम इनकम टैक्स रिटर्न और नियुक्ति पत्र देना होता है. जबकि अपना कारोबार करने वालों या प्रोफेशनल्स को तीन साल का इनकम टैक्स रिटर्न, ऑडिटर्स से सत्यापित बैलेंस शीट और इनकम स्टेटमेंट, पहले से लिए गए लोन का विवरण, दुकान या कारोबारी इकाई, वैट रजिस्ट्रेशन और जरूरी लाइसेंस की कॉपी देनी पड़ती है. इसके अलावा शिक्षा और पेशेवर सर्टिफिकेट की कॉपी भी देनी पड़ती है. इन दस्तावेजों को जमा करके होम लोन पाया जा सकता है.