मौजूदा सियासत में विपक्ष की मजबूत धुरियों में से एक जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव भी विपक्षी एकजुटता का राग अलाप रहे है . वही दिल्ली हाईकोर्ट ने संसद की सदस्यता से जुड़े उनके मामले पर एक खंडपीठ को सुनवाई करने की सिफारिश की है. शरद यादव ने संसद की सदस्यता से उन्हें अयोग्य करार दिए जाने के राज्यसभा के सभापति के आदेश को चुनौती दी थी. राज्यसभा में जेडीयू के नेता राम चंद्र प्रसाद सिंह के वकील ने कहा कि यादव को अयोग्य ठहराये जाने से जुड़े विषय की सुनवाई अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के मुताबिक एक खंडपीठ द्वारा की जानी चाहिए.
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा कि सिंह को इस सिलसिले में एक अलग याचिका दायर करनी चाहिए. सिंह ने वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी के जरिये अदालत के पिछले साल 15 दिसंबर के उस आदेश में संशोधन करने की मांग की, जिसके तहत यादव को सांसद के तौर पर वेतन भत्ता और बंगला की सुविधा पाने की इजाजत दी गई थी. गौरतलब है कि यादव को पिछले साल चार दिसंबर को सदन की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. साथ ही, उनके सहकर्मी अली अनवर को भी उच्च सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिया गया था.
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस संबंध में अपनी विज्ञप्ति में कहा कि तत्काल प्रभाव से उनकी राज्यसभा की सदस्यता समाप्त की जाती है. राज्यसभा के सभापति जेडीयू के इस तर्क से सहमत थे कि दोनों वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए और विपक्षी दलों के कार्यक्रमों में शामिल होकर स्वेच्छा से अपनी सदस्यता त्याग दी. जिसके बाद से शरद यादव तिलमाये हुए है.