गोरखपुर : शहर में गरीबों के लिए पांच रुपये में दाल-चावल पौष्टिक भोजन योजना के लिए शासन से मंजूरी मिल गई है। फरवरी से मार्च के बीच अक्षय पात्रा गोरखनाथ क्षेत्र में अपना किचन बनाने जा रहा है। अक्षय पात्रा अपने किचन में एक साथ तीन लाख थाली खाना बनाएगा और चयनित सरकारी स्कूलों और मजदूरों में वितरित करेगा। स्कूलों में सप्लाई नि:शुल्क होगी और गरीब वर्ग के लिए मजह 5 रुपये में पौष्टिक और भरपेट खाना उपलब्ध रहेगा। अक्षय पात्रा और जिला प्रशासन के बीच इसको लेकर सहमति बन चुकी है। इसके बाद अक्षय पात्रा मथुरा और लखनऊ की तरह गोरखपुर में भी अपनी सेवाएं शुरू कर देगा। अक्षय पात्रा यहां के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दोपहर का खाना और गरीब तबके के लोग जैसे घरों में मजदूरी करने वाले, मिस्त्री, रिक्शा चालक, छोटा-मोटा दुकान चलाने वालों को पौष्टिक खाना मुहैया कराएगी।
गुणवत्ता पर निगाह बनाए रखने के लिए बनेगी विजिलेंस टीम
शुरूआत में रोजाना तीन लाख लोगों को भोजन कराने का लक्ष्य है लेकिन आगे चलकर डिमांड देखते हुए इसको बढ़ाया भी जाएगा। इस व्यवस्था के शुरू हो जाने से जहां स्कूली बच्चों को रोजाना दोपहर का पौष्टिक खाना मिलेगा वहीं दूसरी ओर जी तोड़ परिश्रम करने वाले कामगारों, रिक्शा चालकों, फुटपाथ पर सोने वालों और काफी छोटे स्तर के काम काजियों को महज पांच रुपये में भरपेट और पौष्टिक खाना मिलेगा। खाने की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए अधिकारियों की एक विजलेंस टीम बनाई जाएगी जो योजना पर नजर रखेगी। टीम लोगों को दिए जाने वाले भोजन को समय-समय पर चेक करती रहेगी। गोरक्षनाथ चिकित्सालय में वर्ष 2003 से अन्नपूर्णा भोजनालय चल रहा है। वहां भर्ती मरीजों के तीमारदारों को 10 रुपये में चार रोटी, दाल-सब्जी और चावल मिलता है। अन्नपूर्णा भोजनालय में क्वालिटी पर विशेष जोर होता है। तीमारदार वहीं खाना पसंद करते हैं।
स्टेशन पर 32 रुपये में खाना
रेलवे स्टेशन के जनाहार में 32 रुपये में शाकाहारी थाली उपलब्ध है। इसमें चार रोटी, चावल, दाल, रसेदारसब्जी, सूखी सब्जी, रायता और अचार शामिल है। अक्षय पात्रा की वैन खोराबार, गोरखनाथ कुष्ठ आश्रम, चरगांवा, महेवा मंडी, साहबगंज मंडी, भटहट, पिपराइच, मेडिकल कॉलेज और कूड़ाघाट क्षेत्र में जाएगी। बच्चों को नि:शुल्क और गरीबों को काफी सस्ते दर पर भोजन उपलब्ध कराए जाने के लिए शासन से मंजूरी मिल गई है। जल्द ही अक्षय पात्रा कुष्ठाश्रम की दी गई जमीन पर किचन बनाने जा रहा है।