अवैध खनन मामले में सीबीआई की पूछताछ की संभावना के बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने परिवार के साथ फुर्सत के पल बिताते हुए शायराना अंदाज में ट्वीट करते हुए लिखा, ”दुनिया जानती है इस ख़बर में हुआ है मेरा ज़िक्र क्यों, बदनीयत है जिसकी बुनियाद उस ख़बर से फ़िक्र क्यों.”
इस बीच इस मामले में बसपा, कांग्रेस और आप ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव का समर्थन किया है और भाजपा नीत राजग सरकार पर आरोप लगाया कि वह ‘‘बदले की भावना से राजनीति’’कर रही है. वहीं भाजपा ने कहा कि इस मामले में भ्रष्ट का साथ भ्रष्ट लोग दे रहे हैं. समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा पूछताछ किए जाने की संभावना का मुद्दा सोमवार को लोकसभा में भी उठा और सपा के सांसद सांसद उद्वेलित हो गए जहां उन्होंने हंगामा किया और कागज फाड़कर लोकसभा अध्यक्ष के डेस्क की तरफ उछाले.
सीबीआई
आलोचनाओं से घिरी सीबीआई ने उत्तर प्रदेश में खनन मामले का विस्तृत ब्यौरा देते हुए दावा किया कि अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे उस वक्त उनके कार्यालय ने एक दिन में 13 परियोजनाओं को मंजूरी दी. सीबीआई ने दावा किया कि उस वक्त खनन मंत्रालय अपने पास रखने वाले यादव ने 14 लीज को मंजूरी दी जिसमें से 13 को ई-टेंडर प्रक्रिया का उल्लंघन कर 17 फरवरी 2013 को मंजूरी दी गई. यादव ने आरोप लगाए थे कि केंद्र की भाजपा सरकार अपने राजनीतिक फायदे के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है जिसके बाद सीबीआई ने यादव की भूमिका पर प्रकाश डाला.
मायावती ने किया फोन
इस बीच सपा के साथ लोकसभा चुनाव पूर्व महागठबंधन की औपचारिक घोषणा से पहले बसपा प्रमुख मायावती ने अखिलेश यादव को फोन किया और उन्हें पूरा समर्थन जताया. मायावती ने उनसे कहा कि इन ‘‘हथकंडों’’ से डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने यादव से कहा, ‘‘इस तरह के हथकंडों से मत डरिए.’’ बसपा प्रमुख ने सीबीआई द्वारा यादव से पूछताछ के किसी भी कदम को सत्तारूढ़ भाजपा की ‘‘राजनीतिक दुश्मनी’’ करार दिया. बसपा प्रमुख ने आरोप लगाए कि कांग्रेस की तरह भाजपा सरकारी एजेंसी का ‘‘दुरूपयोग’’ कर रही है ताकि अपने विरोधियों को फर्जी मामलों में ‘‘फंसा’’ सके.
उन्होंने कहा, ‘‘खनन घोटाले में सीबीआई की छापेमारी और पूछताछ की धमकी देना केवल भाजपा की राजनीतिक दुश्मनी है. इस तरह की ओछी राजनीति और राजनीतिक दुश्मनी भाजपा के लिए नई नहीं है. देश के लोगों ने इसे समझा है और लोकसभा चुनावों में वे भाजपा को सबक सिखाएंगे.’’
मायावती ने कहा, ‘‘जिस दिन सपा-बसपा के शीर्ष नेताओं की बैठक की खबर आई, उसी दिन भाजपा सरकार ने सीबीआई का इस्तेमाल किया और खनन के एक पुराने मामले में छापेमारी की गई और अखिलेश यादव से पूछताछ की खबर जानबूझकर फैलाई गई. क्या यह सपा-बसपा गठबंधन को बदनाम करने का प्रयास नहीं है.’’
एजेंसी की तरफ से दर्ज की गई शिकायत के मुताबिक अवैध खनन मामले में यादव को सीबीआई जांच का सामना करना पड़ सकता है. दोनों दलों ने पिछले शनिवार को संकेत दिए थे कि लोकसभा चुनावों में वे मिलकर भाजपा का सामना करेंगे. एजेंसी ने 14 स्थानों पर छापेमारी की थी.
मायावती ने पूछा, ‘‘अगर सीबीआई की कार्रवाई राजनीतिक षड्यंत्र नहीं है तो भाजपा के नेता बयान जारी क्यों करते हैं और भाजपा नेता और मंत्री ने सीबीआई प्रवक्ता की तरह काम क्यों किया?’’ उन्होंने दावा किया कि ताज कोरिडोर मामले में 2003 में उन्हें ‘‘फंसाया’’ गया जब वह 2004 के आम चुनावों के लिए गठबंधन पर सहमत नहीं थीं. मायावती ने कहा, ‘‘लेकिन बाद में जनता ने बदला लिया और 2007 के विधानसभा चुनावों में बसपा को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ.’’