नई दिल्ली : वामपंथी संगठनों से जुड़ी दस श्रमिक संगठनों ने 12 सूत्रीय मांगों को लेकर 2 दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुरू कर दिया है। देश की राजधानी में इसका मिला-जुला असर देखने को मिल रहा है। इन संगठनों ने केंद्र में भाजपा सरकार के खिलाफ आठ और नौ जनवरी को हड़ताल की घोषणा की थी। बंद में देश के कई किसान और शिक्षक संघ भी हिस्सा ले रहे हैं। मुंबई में बेस्ट बसों के पहिए थम गए हैं। अन्य राज्यों में प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर उतरकर रास्ते जाम किए और ट्रेनें भी रोकीं। इस दौरान काम पर आने-जाने वालों पर भी असर दिखा है। भारत बंद के दौरान ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन के सदस्यों ने दिल्ली के पटपड़गंज इलाके में प्रदर्शन भी किया।
ट्रेड यूनियनों की मांगों में वेतन वृद्धि, रोजगार, पदोन्नति के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी सहित कई अन्य मांगें भी शामिल हैं।ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि इस हड़ताल में किसान और बैंक कर्मी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग केंद्र सरकार के ट्रेड यूनियन कानून 1926 में संशोधन का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार कथित पारदर्शिता के नाम पर गलत कर रही है| इससे बंधुआ मजदूरी का खतरा बढ़ जाएगा। दस ट्रेड यूनियनों आईएनटीयूसी, एआईटीयूसी, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, एआईसीसीटीयू, यूटीयूसी, टीयूसीसी, एलपीएफ और सेवा ने संयुक्त रूप से हड़ताल की घोषणा की है। इस हड़ताल में देशभर के करीब 20 करोड़ कर्मचारी शामिल बताये जाते हैं।