पर्यावरण की विनाशकारी परिस्थिति पर अमेरिका की नकारात्मक सोच

पर्यावरण असंतुलन का प्रभाव 

प्रो.भरत राज सिंह

लखनऊ : अमेरिकी रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प ने पर्यावरण और अमेरिका की जलवायु नीतियों के बारे में कई तरह की टिप्पणियां पूर्व मे की हैं, उनमें से ग्लोबल वार्मिंग को चीनियों द्वारा बनाई गई एक धोखाधडी की संज्ञा दी है और कहा कि पर्यावरणीय संरक्षण नीति (ईपीए) एक कलन्क है और इसे खत्म करने की आवश्यकता है तथा अमरीकी राज्य को वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों से खतरा हैं। सारा पॉलिन के 2008 के अभियान को “ड्रिल, बेबी, ड्रिल” कहना शुरू कर देती है, जो लगभग सहज लगता है लेकिन उनकी यह अपरिपक्व टिप्पणी, पर्यावरण और वैज्ञानिक समुदाय के लोगों के लिए कोई हंसी की बात नहीं है, जो लोग इसके लिए समर्पित हैं और ग्रह की अनिश्चित स्थिति का अध्ययन करने के लिए जीवन को लगा रहे हैं।फ्रांस में रह रहे यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र के स्थायी पर्यटन कार्यक्रम के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी, पीटर डेब्रिन कहते हैं कि- लोगों ने सोचा कि ब्रिटेन से बाहर जाने (ब्रेक्सिट) जैसा संदेश पुनः नहीं होगा, लेकिन ट्रम्प का संदेश भी उन जैसे बहुत से लोगों के साथ मेल खाता है। इस तरह की बात ब्रिटेन में हुई थी,  इसलिए जो लोग डरे हुए हैं उन्हें कम मत समझिए। हमें इसी तरह से समझना और जवाब देना होगा, जैसा कि उन लोगों को महसूस हो रहा है होगा और सुना जा रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प कों राष्ट्रपति चुने जाने व चुनाव के परिणाम की घोषणा के पूर्व; देशभर के वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने संभावित पर्यावरणीय प्रभाव पर अपनी राय व्यक्त की थी, जिसका कुछ अंश निम्नलिखित है:
• रक्षा विभाग (डीओडी) जो पहली गैर-पर्यावरणीय अमेरिकी एजेंसियों में से एक थी, उसने एक रिपोर्ट जारी की कि जलवायु परिवर्तन एक वास्तविक और अपार चिंता का विषय है। पिछले दो-वर्ष पूर्व 2016  की जुलाई में जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि “जलवायु परिवर्तन हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक अति आवश्यक व बढ़ता हुआ खतरा है, जो प्राकृतिक आपदाओं, शरणार्थी प्रवाह में वृद्धि, और भोजन और पानी जैसे बुनियादी संसाधनों पर संघर्षपूर्ण कार्य के लिये चिंता पैदा करता है।” रिपोर्ट पर यदि विशेष ध्यान दिया जाय तो यह स्पष्ट होता है कि ये प्रभाव जो पहले से ही हो रहे हैं, समय के साथ उन ऐसी समस्याओं का दायरा, पैमाना और उनकी तीव्रता मे बढ़ोत्तरी निरन्तर होती जाएगी।
• पेंटागन के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु परिवर्तन सुरक्षा के लिये एक जोखिम है; क्योंकि यह मानव सुरक्षा और सरकारों की उनकी आबादी की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता के साथ-साथ रिहायसी स्थिति को भी खराब करता दिखाता है।
• फरवरी में क्या कुछ अधिक हुआ है- पेंटागन ने “जलवायु परिवर्तन पर रूपांतरण और लचीलापन” नामक एक नयी नीति का निर्देश जारी किया है, जो शीर्ष पदों पर आसीन कमांडरों को जलवायु परिवर्तन नीति को लगभग हर एक चीज जो आप कर रहे है, उनको शामिल करने का निर्देश देता है और डीओडी एक ऐसी संस्था नहीं है जो अग्रणी बनकर राय व्यक्त करती हो अथवा बृक्षों जैसे एक दूसरे को आलिंगन करते हुये उदारवादिता के लिए जानी जाती हो ।
• ट्रम्प की स्थिति यह है कि वह डीओडी के प्रयासों को बहुत कम आकलन करने के लिए तत्पर हैं और नही उन्हे जलवायु परिवर्तन में बहुत बड़ा विश्वास है और वह पिछले आठ वर्षों के दौरान, जलवायु परिवर्तन के संबंध में लागू की गई, सभी पर्यावरणीय नीतियों को वापस ले सकते है ।यह भी सही है कि कोई भी राष्ट्रपति, हालांकि, किसी विशेष पर्यावरणीय एजेंडे को आगे बढ़ाने के कई तरीके खोज सकते हैं, जैसे कार्यकारी आदेश और अन्य उपाय, जिनमें से सभी अपने क्षेत्र में निरंतर ध्यान देने हेतु लगा सकते हैं, जिससे ऐसे मामले के लिए दुनिया भर में नजर रख सके। व्हाइट हाउस जो विज्ञान विरोधी और जीवाश्म ईंधन अधिक प्रभावी रूप मे उप्योग करने व पर्यावरण संरक्षण नीति (ईपीए) को नष्ट करना चाहता है, तो स्थिति बहुत ही अस्थिर हो जायेगी।
स्वच्छ जल व वायु अधिनियम नीति
1972 में स्वच्छ जल अधिनियम नीति को विकसित करने हेतु पारित किया गया था जिससे देश के जलमार्ग के प्रदूषण को कम किया जा सके। परंतु उस समय, देश की झीलों, नदियों और तटीय जल का लगभग दो-तिहाई हिस्सा मछली पकड़ने या तैरने जैसी गतिविधियों के लिए असुरक्षित हो गया था। यह देश का पहला और सबसे प्रभावशाली पर्यावरण कानूनों में से एक था। इस बीच, स्वच्छ वायु अधिनियम जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण को खतरे में डालने वाले प्रदूषकों के उत्सर्जन को रोकने लिए बनाया गया है तथा  दुनिया के सबसे व्यापक वायु गुणवत्ता कानूनों में से एक है । संघ के वैज्ञानिकों के अनुसार, इस अधिनियम ने खतरनाक प्रदूषण को काफी कम कर दिया है। संगठन का कहना है कि स्वच्छ वायु अधिनियम ने ओजोन परत और गैसोलीन में सीसे की मात्रा को कम किया, जिससे 1980 के बाद से वायु प्रदूषण में 92% की कमी आई है। स्वच्छ वायु अधिनियम के नियमों ने उद्योगों को अत्याधुनिक समाधानों को विकसित करने और अपनाने के लिए प्रेरित किया है जो बिजली संयंत्रों, कारखानों और कारों से प्रदूषण को कम करते हैं, और इस प्रक्रिया में, संगठन का कहना है कि नई नौकरियां भी पैदा हुई हैं। चेसेक अपनी बात जारी रखते है कि- “हमें व्हाइट हाउस में किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो यह समझ सके कि पर्यावरण नीति नकारात्मक तथा आर्थिक-विरोधी नीति नहीं है”।
पेरिस समझौता 
ट्रम्प जब वह कार्यालय में होते है तो उनका एक ही उद्देश्य होता है कि वह ऐतिहासिक पेरिस समझौते के मसौदे को रद्द करने की कोशिश करते है और यह भी दावा करते है कि यह समझौता विदेशी नौकरशाहों के अंकुश अथवा नियंत्रण मे पहुंच जायेगा कि हम अमेरिका में कितनी ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं। वर्ष 2020 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन समझौता नीति के अनुसार वैश्विक औसत तापमान की वृद्धि मे पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस तापमान मे कमी लाना होगा। प्रत्येक भाग लेने वाले दुनियाभर के देशो को अपने स्वयं के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के योगदान को एक सीमा तक निश्चित करना पडेगा। मई 2016 के “पेरिस समझौते के तहत, 190 से अधिक देशों के नेताओं ने समझौते का समर्थन किया। अतः अमेरिका के पास इसे रद्द करने की कोई अधिकार नहीं है। आप दुनिया भर के संप्रभु नेताओं को भी नहीं बता सकते हैं कि यह एक बहुपक्षीय समझौता नहीं है, जो उन्होंने दर्ज किया है। तो ट्रम्प के अकेले अन्यथा मसौदे से इस पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? डेबोरा लॉरेंस, वर्जीनिया विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर है, कहते हैं कि पेरिस समझौता तभी प्रभावी होगा जब 55% वैश्विक उत्सर्जन करने वाले देश इसे ‘हां’ कहेंगे, और अमेरिकी वैश्विक उत्सर्जन का लगभग 20% हिस्सा अकेले बनाता हैं। अगर ट्रम्प इस समझौते से बाहर निकलते हैं, तो बाकी दुनिया आगे बढ़ जाएगी और जो उस प्रयास का हिस्सा नहीं हैं उसके लिये इससे बडी शर्मनाक स्थिति क्या होगी ।
स्वच्छ ऊर्जा स्रोत पर संक्रमण 
गैरलाभकारी पर्यावरण इक्विटी निदेशक, सांचेज़ कहते हैं कि हमें एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत पर हो रहे संक्रमण का पता लगाने की आवश्यकता है और वर्तमान ट्रम्प का नेतृत्व इसे बढाने में विश्वास नहीं रखता है। सांचेज ने कहते है कि पर्यावरण संरक्षण नीति (ईपीए) के बिना हम क्या करेंगे इसकी  कल्पना भी नहीं की सकती है। भविष्य मे पर्यावरण असंतुलन वर्वादी के कगार पर पहुंच जायेगा। जमीनी हकीकत यह है कि पर्यावरण नियमों, पर्यावरण कार्यक्रमों और राष्ट्र और दुनिया की मदद करने वाली एजेंसियों के प्रति ट्रम्प की शत्रुता न केवल विशाल क्षेत्रोंवाली आबादी के लिए विवादास्पद है, बल्कि वे एक ऐसे व्यक्तित्व है जो उनपर ध्यान भी नही देना चाहते हैं जबकि अमेरिका को फिर से महान बनाने के अपने लक्ष्यपर जोर देने की चर्चा करते है। परंतु अमेरिका को निरंतर महानता की तरफ ले जाने के लिए ऊची सोच व दूर-दृष्टि की आवश्यकता है, नकि इस घड़ी को 50 साल पीछे पहुचाना। इसमे नव-प्रवर्तनकर्ताओं, हरित-प्रौद्योगिकी और निरंतर विचारशील प्रगति को आगे बढाना शामिल है, जो एक राष्ट्र के रूप मंन उसकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने मे सहायक रहे।
(प्रो.भरत राज सिंह
महानिदेशक, स्कूल आफ मैनेजमेन्ट साइंसेस, 
व अध्यक्ष, वैदिक विज्ञान केन्द्र, लखनऊ-226501)

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