देंश में दूध का उत्पादन लगातार घट रहा है और बढ़ती मांग को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। इसी कारण सिंथेटिक दूध का गोरखधंधा भी चल रहा है। दूध का अधिक उत्पादन न होने का कारण गाय व भैंस को अधिक फीड न देना है। कितनी फीड देनी है, कैसे देनी है और इसमें क्या-क्या होना चाहिए। डेयरी किसानों को इसकी नालेज न होना इसकी बड़ी वजह है। उसी वजह से गाय व भैंस अधिक दूध नहीं दे सकती।
दूध का कम हो रहा है उत्पादन, गायों और भैसों के खानपान पर ठीक से नहीं दिया जा रहा ध्यान
अगर गाय व भैंस को अधिक फीड व सही समय पर देते है तो बेहतर दूध का उत्पादन कर सकते हैं। गाय व भैंस की कई ऐसी नस्लें हैं जो प्रतिदिन 12 से लेकर 28 लीटर तक दूध देती है। राजस्थान की थारपारकर नस्ल ऐसी है जो 0 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान में रहकर भी 26 लीटर तक दूध देती है। राजस्थान की गिर नस्ल को ब्राजील में एक्सपोर्ट किया गया जिसे बढिय़ा फीड मिली और उसने एक दिन में 100 लीटर दूध देने का रिकार्ड बनाया।
ब्रीड और फीड की कम जानकारी घटा रहा दूध का उत्पादन
देश की गाय की नस्लों में बेस्ट नस्ल गिर को कहा गया। राजस्थान यूनिवर्सिटी वेटर्निटी, बीकानेर के डॉ. अनिल ने कहा कि डेयरी किसानों को गाय व भैंस की नालेज नहीं है। दूध अधिक चाहिए तो फीड भी अधिक होनी चाहिए।
फीड में मिनरल, कैल्शियम व फासफोरस जरूरी
विज्ञानियों का कहना है कि किसान गाय व भैंस से अधिक दूध का उत्पादन चाहते है तो अधिक फीड देनी चाहिए। 15 किलोग्राम फीड पर 500 रुपये का खर्च आता है। हरा चारा देने के साथ-साथ मिनरल मिक्सचर, कैल्शियम व फासफोरस देना चाहिए। अधिक फीड से गाय व भैंस अधिक दूध दे सकती है। यह नस्लें पंजाब व राजस्थान की है। डेयरी किसान महंगी गाय व भैंस तो खरीद देते है लेकिन फीड पर आने वाले खर्च पर कटौती कर देते है।
ये हैं गाय व भैंस की नस्ल
गाय की कांकरेज नस्ल- प्रतिदिन 22 लीटर।
मालवी नस्ल- प्रतिदिन 12 लीटर।
साहीवाल नस्ल- प्रतिदिन 28 लीटर।
राठी नस्ल- प्रतिदिन 28 लीटर दूध।
मुर्रा भैंस- प्रतिदिन 26 लीटर दूध ।