नई दिल्ली : मानसून सत्र की तरह शीत सत्र में भी राफेल सौदे पर कांग्रेस और मोदी सरकार के बीच सियासी जंग की जमीन तैयार हो गई है। इस मुद्दे पर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की क्लीन चिट के बाद बुधवार को बिना मतदान वाले नियम 1993 के तहत इस पर चर्चा हो सकती है। सोमवार को स्पीकर सुमित्रा महाजन के साथ हुई बैठक में सरकार और कांग्रेस दोनों बुधवार को चर्चा कराने पर सैद्घांतिक तौर पर तैयार थी। अंतिम फैसला कार्यवाही शुरू होने पर होगा।
कांग्रेस ने तैयार रहने की बात कही
प्राप्त जानकारी अनुसार जेपीसी जांच पर अड़ी कांग्रेस ने सोमवार को चर्चा के लिए तैयार रहने की बात कही थी। कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया था कि पार्टी चर्चा पर सरकार की चुनौती स्वीकार करती है। सूत्रों कि माने तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले में तथ्यात्मक त्रुटियां हैं। इसके अलावा राफेल की कीमत पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। ऐसे में पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर ही केंद्र सरकार पर निशाना साधेगी।
विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इस मुद्दे पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ढाल बनाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर सीधा निशाना साधने का मन बनाया है। चर्चा में सरकार की ओर से कहा जा सकता है कि मनमाफिक फैसला न आने के कारण कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट को भी निशाना बनाने से नहीं चूक रही। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस ने पीएम मोदी और रक्षा मंत्री पर तो भाजपा ने राहुल पर गलत बयान बाजी करने का आरोप लगाते हुए लोकसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।