नई दिल्ली : भारतीय पुरुष हॉकी टीम के लिए वर्ष 2018 मिला जुला रहा। इस वर्ष भारतीय हॉकी टीम बड़े प्रतियोगिताओं के अंत तक तो पहुंची लेकिन महत्वपूर्ण मौकों को भुनाने में सफल नहीं हो सकी। भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में चौथे स्थान पर रही, जबकि जकार्ता में हुए 18वें एशियन खेलों में भारतीय टीम को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। इसके अलावा, ओडिशा में खेले गए हॉकी विश्वकप के क्वार्टरफाइनल में नीदरलैंड के हाथों 2-1 से हारकर बाहर होना पड़ा। भारत को एशियाई हॉकी चैम्पियंस ट्रॉफी 2018 का खिताब भी पाकिस्तान के साथ बांटना पड़ा। भारत इस टूर्नामेंट में अजेय रहा। भारत और पाकिस्तान के बीच एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला भारी बारिश की भेंट चढ़ गया और दोनों टीमों को संयुक्त विजेता घोषित किया गया।
साल के शुरुआत में ब्रेडा में आयोजित हुए एफआईएच चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम को रजत पदक मिला। विश्व रैंकिंग में भारत को एक स्थान का फायदा हुआ और टीम छठें स्थान से पांचवें स्थान पर पहुंच गई। बेल्जियम ने नीदरलैंड को खिताबी मुकाबले में हराकर हॉकी विश्व कप का खिताब जीता। भारतीय टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह विश्व कप के सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाने से काफी निराश हैं। उन्होंने कहा कि बेल्जियम ने जो विगत कुछ वर्षों में हासिल किया है वह काफी उल्लेखनीय है और उन्हें विश्व खिताब जीतने के लिए मेरी तरफ से हार्दिक बधाई। जहां तक टूर्नामेंट में हमारे प्रदर्शन की बात है, तो हम स्पष्ट रूप से निराश हैं और हम अपने घरेलू समर्थन का लाभ नहीं उठा सके। वर्ष 2019 में भारत के सामने प्रमुख लक्ष्य ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना है। जून 2019 में ओडिशा के कलिंगा स्टेडियम में होने वाले एफआईएच सीरीज फाइनल्स होने वाला है और भारतीय टीम का लक्ष्य इस प्रतियोगिता को जीतकर टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई करना है।