शिवानी पब्लिक स्कूल में ‘डिजिटल मीडिया के नैतिक उपयोग’ पर कार्यशाला
लखनऊ : आज जहाँ साइबर अपराध को लेकर पूरा विश्व चिंतित है, वही विद्यार्थियों में यह समस्या बढती जा रही है जिसको लेकर अभिवावक काफी चिंतित है। हाल में ऐसी बहुत सी घटनाओं सामने आईं हैं जिनमें ब्लूव्हेल, पब्जी जैसे गेम बच्चों को अपना शिकार बना लिया। इन गेमों का नियमित इस्तेमाल करने से बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास प्रभाव पड़ रहा है। इन सभी तरह की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए आर्यकुल कॉलेज के पत्रकारिता विभाग के सहयोग से एक एनजीओ ‘मानव विकास सेवा संस्थान’ द्वारा एक डिजिटल मीडिया अभियान शुरू किया गया है, जिसमें डिजिटल मीडिया के नैतिक इस्तेमाल के बारे बच्चों को जानकारी देते हुए उनके लाभ और दुष्प्रभाव के प्रति उन्हें जागरूक किया गया।
विद्यार्थि और युवाओं के परामर्श के लिए मानव विकास एव सेवा संस्थान की टीम लखनऊ के अलग-अलग स्कूलों में जाकर वहां के बच्चों को डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल की काउंसलिंग कर रही है। मानव विकास की टीम ने शुक्रवार को शिवानी पब्लिक स्कूल में “डिजिटल मीडिया के नैतिक उपयोग” पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जहाँ उन्होंने डिजिटल मीडिया के उपयोग के बारे में विस्तार से बात की। वर्तमान समय में युवाओं,विद्यार्थियों में ऑनलाइन वर्चुअल गेम, चेटिंग, वर्चुअल फ्रेंडशिप, वीडियो कांफ्रंसिंग, टिक टोल्क, व्हात्सप्प,स्नेचेट, इंस्ट्रग्राम आदि का प्रचालन युवाओं के बीच काफी है. जिसे लेकर यथार्तवाद से दूर भाग रहे हैं। यही कारण है कि उनमें सहनशीलता की कमी, चिडचिडापन, पतभ्रमित होना आदि जैसी समस्याएँ आज आम बात हो गयी हैं।
कार्यशाला को मूल रूप से इंटरनेट और डिजिटल मीडिया के सही उपयोग के बारे में छात्रों को जागरूक करने के लिए आयोजित किया गया था और इसके अति प्रयोग के बाद होने वाले परिणाम के बारें अवगत कराया गया। डिजिटल गुलामी, दुनिया का सामना कर रही है सहानुभूति के बजाय गंभीर उपायों की आवश्यकता है। कई स्थितियां ऐसी होती हैं जहां किशोरों को इंटरनेट पर किसी न किसी कारण से खतरों और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। इस कार्यशाला का मकसद बच्चों को बस उन्हें बाधाओं के खिलाफ खड़ा करना है और उसी के लिए बोलना है ताकि कोई भी छात्र किसी भी गंभीर समस्या से न गुजरे और इंटरनेट का इस्तेमाल समझदारी से सके।