भोपाल : मध्यप्रदेश में 15 साल का वनवास काटने के बाद कांग्रेस ने सत्ता हासिल की है और मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा 28 कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ले ली है, लेकिन इसके बावजूद अब तक मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया है। इस मामले में मुख्यमंत्री को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तो वरिष्ठ नेताओं का दबाव है, तो दूसरे मंत्री मनपसंद विभागों पर अड़ गए हैं, वहीं तीसरे गुटबाजी भी इसमें रोड़े अटका रही है। कांग्रेस में पहले तो मुख्यमंत्री के नाम पर काफी माथापच्ची हुई, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच फैसला होना था। राहुल गांधी ने कमलनाथ के नाम पर मंजूरी देकर उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया। इसके बाद पांच दिनों तक दिल्ली में मंत्रिमंडल को लेकर विचार-विमर्श हुआ और मंत्रियों के नाम तय किए गए। गत 25 दिसम्बर को मंत्रियों का शपथ ग्रहण भी हो गया, लेकिन अब तक उनको विभाग नहीं बांटे जा सके हैं। स्थिति यह बन गई है कि नेता इसे दिल्ली लेकर पहुंच गए हैं और वहां से भी हस्तक्षेप करा रहे हैं। कमलनाथ ने मंत्रियों की सूची दिल्ली भेजी है इस पर दिल्ली से फैसला होगा, जिससे कोई विरोध नहीं कर पायेगा।
दरअसल, गृह, वित्त, स्वास्थ्य और नगरीय प्रशासन समेत कुछ बड़े विभागों पर पेंच फंसा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया गुटीय संतुलन बनाने के लिए दो दिन से कवायद कर रहे हैं, लेकिन ये तीनों दिग्गज ही अपने-अपने समर्थकों को बड़े और भारी-भरकम विभाग दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। मंत्रियों के विभाग बंटवारे में मुख्यमंत्री कमलनाथ, सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच कई दौर की चर्चा हो चुकी हैं। जिन विभागों को दिग्गज अपने समर्थक मंत्रियों को दिलाना चाह रहे हैं वे मुख्य रूप से वित्त, गृह, परिवहन, आबकारी, स्वास्थ्य, जनसंपर्क, सहकारिता, पीडब्ल्यूडी और महिला बाल विकास हैं। विभाग बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान के बीच बड़े नेता दिल्ली में भी सक्रिय हो गए हैं और शुक्रवार को इस पर फैसला लिये जाने की संभावना है।
कमलनाथ मंत्रिमंडल में सिर्फ 6 मंत्री ऐसे हैं, जो पहले भी मंत्री बन चुके हैं, बाकी पहली बार मंत्री बने हैं। ऐसे में अनुभव की कमी है, लेकिन कुछ मंत्री अपनी योग्यता के हिसाब से प्रमुख विभाग की मांग पर अड़े हैं। सूत्रों के मुताबिक, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने स्वास्थ्य और नगरीय प्रशासन के लिए जिन मंत्रियों के नाम तय किए हैं, उन पर सिंधिया ने असहमति जताई है। वे डॉ. प्रभुराम चौधरी के लिए स्वास्थ्य विभाग चाहते हैं, जबकि चौधरी को स्कूल शिक्षा दिया जाना प्रस्तावित है। सिंधिया तुलसी सिलावट को गृह या नगरीय प्रशासन विभाग जैसे प्रमुख जगह सेट करना चाहते हैं, वहीं सिलावट को स्वास्थ्य दिया जाना प्रस्तावित है।