नई दिल्ली : केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार और पूर्व सांसद डॉ.शंकर दयाल सिंह की 81वीं जयंती के मौके पर गुरुवार को यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वह भारतीय संस्कृति के आदर्शों और मूल्यों के ऐसे हिमायती राजनेता थे जो राजनीति के तेवर और कलेवर को संस्कृति के आयामों से बदला करते थे। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शंकर संस्कृति प्रतिष्ठान के तत्वावधान में आयोजित डॉ. शंकर दयाल सिंह जंयती समारोह-2018 के उद्घाटन अवसर पर कहा कि आज हिन्दी की दिन-प्रतिदिन विश्वपटल पर बढ़ती लोकप्रियता की नीवं में डॉ. शंकर दयाल सिंह के संघर्ष और मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि इसे भुलाया नहीं जा सकता अपितु इसके अनुसरण से हम हिंदी को विज्ञान और तकनीक की भाषा भी बना सकते हैं।
राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि डॉ. शंकर दयाल सिंह ही उन्हें पहली बार संसद में लेकर आए थे। शंकर दयाल के साथ अपने घनिष्ठता का जिक्र करते हुए उन्होंने कई संस्मरणों को याद किया। हरिवंश ने डॉ. सिंह को आदर्श मूल्यों के धनी राजनेता होने के साथ-साथ एक महान साहित्यकार भी बताया। उन्होंने कहा कि लम्बे समय तक संसदीय राजभाषा समिति के संयोजक रहते हुए डॉ. शंकर दयाल सिंह ने हिन्दी को राजकाज की भाषा के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने के लिए भरसक प्रयत्न किए और देश के सभी मंत्रालयों, विभागों, संगठनों व अन्य संस्थानों में दौरा करके वहां राजभाषा की स्थिति को और सुदृढ़ बनाया। सिंह ने बताया कि उन्हीं के प्रयासों के फलस्वरूप आज सरकारी कार्यालयों के कम्प्यूटरों में हिन्दी का प्रचलन है। इस अवसर पर उन्होंने ‘डॉ. शंकर दयाल सिंह सम्मान‘‘ से डॉ. देवेश पाण्डेय को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी, सुलभ शौचालय आन्दोलन के प्रणेता गांधीवादी डॉ. बिन्देश्वरी पाठक, ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद् की सचिव रश्मि सिंह तथा अनेक राजनेता एवं साहित्यकार भी उपस्थित थे।