प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिंगापुर दौरे का आज अंतिम दिन है। उन्होंने यहां अमेरिकी रक्षा सचिव जिम मैटिस से भी मुलाकात की। इससे पहले, पीएम मोदी ने सिंगापुर के पूर्व प्रधानमंत्री गोह चोक तोंग से मुलाकात की। उल्लेखनीय है कि तीन देशों के पांच दिवसीय दौरे पर निकले प्रधानमंत्री मोदी इंडोनेशिया और मलेशिया के बाद गुरुवार को सिंगापुर पहुंचे थे। शुक्रवार को दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए।
गौरतलब है कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां कहा था कि हर व्यवधान को विनाश के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि सामाजिक दूरी को खत्म करने में तकनीक की अहम भूमिका रही है। दुनिया भर में तकनीक करोड़ों लोगों की आवाज बन रही है और सामाजिक व्यवधान तोड़ने में मददगार साबित हो रही है। तकनीक लोगों को ताकतवर बनाती है लेकिन इसे यूजर फ्रेंडली होना चाहिए। लोगों के भीतर कंप्यूटर को लेकर कई आशंकाएं थी लेकिन इसने मानव इतिहास को ही बदलकर रख दिया। तकनीक के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। पीएम ने 21वीं सदी की चुनौतियों के समाधान के लिए मानवीय मूल्यों के साथ इनोवेशन की जरूरत पर बल दिया।
प्रधानमंत्री ने सिंगापुर की प्रतिष्ठित नानयांग टेक्निकल यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित किया। एशिया के सामने चुनौती पर पीएम ने कहा था कि 21वीं सदी एशिया की है। सबसे बड़ा सवाल है कि हम एशिया के लोग इसे महसूस करते हैं या नहीं। 21वीं सदी को एशिया की सदी बनाना, हमारे लिए चुनौती है। यह अपने आप में विश्वास करना और यह जानना आवश्यक है कि अब हमारी बारी है। हमें इस अवसर का फायदा उठाना होगा और उसका नेतृत्व करना होगा।
उन्होंने कहा था कि हमारे सामने चुनौतियों से ज्यादा अवसर हैं। हम सांस्कृतिक रूप से हजारों साल से करीबी रहे हैं। पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति से मिलने का मौका मिला। अनौपचारिक बैठक का कोई एजेंडा नहीं था। हम घंटों तक साथ रहे और बातें करते रहे। उन्होंने कहा था कि एक अमेरिकन यूनिवर्सिटी ने 2000 साल के आर्थिक विकास यात्रा पर एक शोध किया। इसके अनुसार, पिछले 2000 साल में करीब 16 सौ साल दुनिया की जीडीपी में पचास फीसदी योगदान चीन और भारत का था। और सिर्फ तीन सौ साल ही पश्चिम के देशों का प्रभाव बढ़ा। 1600 साल में हमारे बीच कोई संघर्ष नहीं था।
मानव इतिहास में वैश्विक व्यापार के क्षेत्र में भारत और चीन का सदियों तक दबदबा रहा है। उस वक्त किसी तरह का संघर्ष नहीं था। हमें बिना किसी संघर्ष के कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि नवाचार और नैतिकता के साथ-साथ मानवीय मूल्यों के कारण हमने प्रगति की है।