जम्मू और कश्मीर की जद में आने वाले बक्कल और कौड़ी दो ऐसे गांव हैं, जहां पर रहने वाला हर युवक कुछ समय पहले तक खुद को दुनिया का सबसे बदनसीब शख्स मानता था. इस सोच की वजह थी, उनकी शादी न होगा. दरअसल, यह दोनों गांव लगभग घने जंगल के बीच में बसे है. कोई संपर्क मार्ग न होने की वजह से यह गांव मुख्य धारा से पूरी तरह से कटे हुए थे.
यहां का आलम यह था कि बीते कुछ समय पहले तक इन गांवों में न ही विकास की कोई किरण पहुंची थी और न ही यहां के युवकों के पास कोई रोजगार था. दोनों गांवों में रहने वाले ज्यादातर परिवार खेती कर अपनी आजीविका को किसी तरह चला रहे थे. गांव की इस स्थिति के चलते कोई भी नहीं चाहता था कि वह अपनी बेटियों की शादी बक्कल और कौड़ी गांव में रहने वाले युवकों के साथ करे.
रेलवे के एक फैसले ने बदल दी गांव वालों की जिंदगी
इसी बीच, भारतीय रेलवे ने जम्मू-कटरा रेलवे लाइन का विस्तार कर उसे बनिहाल-बारामुला रेलवे लाइन से जोड़ने का फैसला किया. इस फैसले को अमल में लाने के लिए दो पहाड़ों के बीच एक वृहद पुल बनाने की जरूरत थी. इस पुल के निर्माण के लिए रेलवे ने पूरे इलाके का एरियल सर्वे शुरू किया गया. इस सर्वे में चिनाब नदी के एक किनारे पर बसे कौड़ी और दूसरे किनारे पर बसे बक्कल गांव के करीब स्थित पहाड़ों पर पुल बनाने का फैसला लिया गया.
रेलवे ने बनाई इन गांवों तक 14 किमी लंबी सड़क
प्रबंध निदेशक अनुराग सचान के अनुसार, रेलवे ने बक्कल और कौड़ी गांव के बीच पुल बनाने के फैसले को तब तक अमल में नहीं लाया जा सकता था, जब तक यहां पर सड़क का निर्माण न हो. लिहाजा, रेलवे ने सबसे पहले दोनों गांवों को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए 14-14 किमी सड़क का निर्माण किया. इस सड़क का निर्माण पूरा होने के साथ, एक तरफ चिनाब नदी पर पुल बनाने का रास्ता साफ हो गया, वहीं दूसरी तरफ दोनों गांव अब जम्मू और कश्मीर के दूसरे इलाकों से जुड़ गए. रेलवे द्वारा बनाई गई सड़क ने तेजी से बक्कल और कौड़ी गांव में रहने वाले लोगों की जिंदगी में बदलाव लाना शुरू कर दिया.
रेलवे ने दिया दोनों गांवों के नौजवानों का रोजगार
प्रबंध निदेशक अनुराग सचान के अनुसार, सड़क बनाने के साथ रेलवे ने यह फैसला भी किया कि पुल निर्माण से जुड़ी आवश्यक सामग्री को बनाने के लिए बक्कल और कौड़ी में कारखाने लगाए जाएंगे. इसके अलावा, इन कारखानों में प्राथमिकता के आधार पर कौड़ी और बक्कल गांव में रहने वाले लोगों को रोजगार दिया जाएगा. भारतीय रेलवे ने अपने इस फैसले को बिना किसी देरी के अमलीजामा पहनाया और दोनों गांवों के युवकों को रोजगार मुहैया कराया गया. इस तरफ, चिनाब नदी पर निर्माणाधीन दुनिया के सबसे ऊंचे पुल ने कौड़ी और बक्कल में रहने वाले लोगों की जिंदगी बदल दी. अब इस गांव के युवक न केवल आर्थिक रूप से संपन्न हैं, बल्कि अब उनकी शादियां भी बिना किसी रुकावट के हो रही है.