पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर शुरू हुई राजनीतिक उठापटक ने देश में सियासा माहौल बना ही दिया है. कहीं कोई नेता 2019 में बदलाव की बात कर रहा है तो कहीं सत्ताधारी दल की एक बार फिर से वापसी के कयास लगाए जा रहे हैं. 2014 चुनाव में बीजेपी और नरेंद्र मोदी के लिए खुलकर प्रचार करने वाले योगगुरु रामदेव ने भी 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर अलग बयान दिया है.
2019 चुनाव के सवाल पर योगगुरु बदले-बदले से नजर आए और उन्होंने खुद को निर्दलीय सर्वदलीय कहकर सभी को चौंका दिया है.
तमिलनाडु के मदुरै में रामदेव ने कहा देश की राजनीतिक हालात कठिन है. हम नहीं कह सकते कि अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा? योगगुरु ने कहा, ‘हम नहीं कह सकते हैं कि 2019 में देश का नेतृत्व कौन करेगा? लेकिन ये तय है कि लड़ाई काफी रोमांचक होगी. मैं राजनीति पर ध्यान केंद्रीय नहीं कर रहा हूं. मेरा नीजि दृष्टिकोण निर्दलीय और सर्वदलीय है. मैं किसी व्यक्ति के समर्थन में नहीं हूं और ना ही किसी पार्टी के विरोध में. ‘
3 राज्यों में बीजेपी की हार पर बोले रामदेव
योगगुरु रामदेव ने 3 राज्यों बीजेपी की हार पर 13 दिसंबर को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और नीतियों पर कोई संदेह नहीं कर सकता. एक मीडिया समूह की ओर से आयोजित कॉन्क्लेव में रामदेव ने कहा, ‘मोदी उनमें से नहीं हैं जो वोट बैंक की राजनीति करते हैं.” यह पूछे जाने पर कि क्या पीए मोदी ने अपने वादे पूरे किये, रामदेव ने कहा, “मैं इस तरह के राजनीतिक सवालों के जवाब देकर मुश्किलों को बुलावा नहीं देना चाहता, क्योंकि आपको इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. मैं अब भी यही कहूंगा कि पीएम मोदी के नेतृत्व, नीयत और नीति पर कोई संदेह नहीं कर सकता. उन्होंने 100 से ज्यादा राष्ट्र निर्माण परियोजनाएं शुरू की हैं और वह कभी वोट बैंक की राजनीति में शामिल नहीं रहे.”
कालेधन के सवाल पर बोले रामदेव
13 दिसंबर को ही रामदेव से जब यह पूछा गया कि क्या एनडीए के शासन काल में कालेधन का सफाया हो गया है? इस पर योगगुरु ने कहा था “विमुद्रीकरण (demonetisation) के बाद सारा धन बराबर हो गया, लेकिन एक बहुत बड़ा सवाल यह है कि इस रकम का इस्तेमाल कैसे किया जाना चाहिए. मुझे लगता है कि इसका इस्तेमाल कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में किया जाना चाहिए.”
2 दिसंबर को रामदेव ने कहा था कि ‘‘अगर अयोध्या में राम मंदिर नहीं बना, वह भी तब जब करोड़ों लोग उसे बनते हुए देखना चाहते हैं तो लोगों का भाजपा पर से भरोसा उठ जाएगा जो पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा.’