देहरादून। हरिद्वार-देहरादून राजमार्ग के फोरलेन में तब्दील होने की उम्मीद अब परवान चढ़ पाएगी। नवंबर 2010 से लटके चौड़ीकरण कार्य को उन बैंकों ने स्वीकृति दे दी है, जिनसे एरा इंफ्रा ने ऋण लिया था। मामला सिर्फ यहां अटका था कि एरा इंफ्रा से यह काम छीन लिया गया था और कंपनी ने बैंकों का ऋण भी नहीं चुकाया था। हालांकि, अब बैंकों की हामी के बाद एकमात्र बची अड़चन भी दूर हो गई है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने एरा इंफ्रा को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद एनएचएआइ ने कमान अपने हाथ में ले ली थी। अधूरे पड़े चौड़ीकरण कार्य को पूरा कराने के लिए अगस्त माह में टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। जिसके क्रम में यूपी बिल्ट कॉरपोरेशन और एटलस कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. को टेंडर आवंटित किए गए हैं। हरिद्वार से लालतप्पड़ तक का काम यूपी बिल्ट करेगी, जबकि इससे आगे मोहकमपुर तक चौड़ीकरण कार्य का जिम्मा एटलस को दिया गया है। इसके बाद चयनित कंपनियों के साथ सिर्फ अनुबंध करना शेष रह गया था। प्राधिकरण के परियोजना निदेशक प्रदीप गुसाईं ने बताया कि एरा इंफ्रा ने करीब 300 करोड़ रुपये का काम किया है। इस राशि को उन बैंकों को लौटाने पर काफी पहले ही सहमति बन गई थी, जिनसे एरा इंफ्रा ने ऋण लिया था। हालांकि बैंकों की ओर से औपचारिक सहमति मिली बाकी थी, जो अब प्राप्त हो चुकी है। बहुत जल्द चयनित कंपनियों के साथ अनुबंध कर दिया जाएगा। 15 जनवरी से काम शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।
500 करोड़ का काम शेष
परियोजना निदेशक गुसाईं ने बताया कि हरिद्वार से देहरादून तक के करीब 39.025 किलोमीटर भाग (चौड़ीकरण के बाद दूरी 36.52 किमी रह जाएगी) पर अवशेष कार्यों की लागत करीब 500 करोड़ रुपये आकी गई है।
मुजफ्फरनगर-हरिद्वार राजमार्ग पर बैंकों को जिम्मा
एनएचएआइ के परियोजना निदेशक के मुताबिक, मुजफ्फरनगर-हरिद्वार के बीच करीब 80 किलोमीटर भाग पर अवशेष चौड़ीकरण कार्य को पूरा करने के लिए बैंक ही कॉन्ट्रैक्टर मुहैया कराएंगे। अनुबंध में ऐसी शर्त थी कि यदि किसी कारण से चयनित कंपनी से काम वापस ले लिया जाता है तो संबंधित बैंक (ऋण मुहैया कराने वाले) नए कॉन्ट्रैक्टर का चयन कर सकते हैं, ताकि उनका पैसा डूबे नहीं। इस भाग पर काम की प्रगति करीब 72 फीसद है।