पर्थ टेस्ट मैच में सभी ने रवींद्र जडेजा को दूसरे टेस्ट मैच से बाहर रखने पर सवाल खड़े किए थे। जडेजा को बाहर रखने पर कप्तान कोहली ने कहा था कि पिच को देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि यहां पर जडेजा को अंतिम ग्यारह में रखना चाहिए था। लेकिन अब टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री ने खुलासा किया है कि रविंद्र जडेजा के कंधे में उस समय से जकड़न थी जब वह रणजी ट्रॉफी खेल रहे थे और ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के चार दिन बाद उन्हें इंजेक्शन दिए गए थे। इसके साथ ही शास्त्री ने कहा, अगर पर्थ की बात करें तो हमें लगता है कि वह 70 से 80 प्रतिशत फिट था और हम दूसरे टेस्ट में उसे लेकर जोखिम नहीं उठाना चाहते थे।
अब खड़े हुए ये सवाल
शास्त्री के इस बयान से सवाल उठने लगे हैं कि क्या शत प्रतिशत फिट नहीं होने के बावजूद जडेजा को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर लाया गया। जडेजा की फिटनेस का ये मुद्दा हैरान करने वाला है क्योंकि पर्थ में दूसरे टेस्ट की 13 सदस्यीय टीम में उन्हें शामिल किया गया था। ऑस्ट्रेलिया की दोनों पारियों में वह अधिकांश समय क्षेत्ररक्षण करते हुए भी दिखे जिससे भारतीय टीम के चोट प्रबंधन कार्यक्रम पर सवाल उठ रहे हैं।
चोटिल जडेजा से क्यों कराई गई फील्डिंग?
एक तरफ तो रवि शास्त्री कह रहे हैं कि जडेजा पर्थ टेस्ट मैच में 70 से 80 प्रतिशत फिट थे और वो उन्हें टीम में रखकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते थे, दूसरी तरफ जडेजा उसी मैच में ज़्यादातर मौकों पर फील्डिंग करते हुए दिखाई दिए। क्या तब भारतीय टीम मैनेजमेंट को जडेजा की चोट को लेकर गंभीर नहीं होना चाहिए था? अगर जडेजा चोटिल ही थे तो उन्हें अंतिम-13 खिलाड़ियों में क्यों शामिल किया गया था?
‘जडेजा को लगा ज़्यादा समय’
कोच रवि शास्त्री ने स्वीकार किया कि जडेजा के उबरने में उम्मीद से अधिक समय लगा। उन्होंने कहा कि ‘इसमें (जडेजा के उबरने में) उम्मीद से अधिक समय लगा और हम सतर्कता बरतना चाहते थे। पर्छ में उसे टीम में इसलिए नहीं चुना गया कि आप यह नहीं चाहते कि पांच या 10 ओवर फेंकने के बाद कोई गेंदबाजी बाहर हो जाए।’
मेलबर्न में खेलेंगे जडेजा?
शास्त्री से जब ये सवाल किया गया कि क्या जडेजा मेलबर्न में खेलेंगे तो उन्होंने कहा, ‘अगर पर्थ की बात करें तो हमें लगता है कि वह 70 से 80 प्रतिशत फिट था और हम दूसरे टेस्ट में उसे लेकर जोखिम नहीं उठाना चाहते थे। अगर वह यहां (मेलबर्न में) 80 प्रतिशत फिट हुआ तो वह खेलेगा।’