जम्मू एंड कश्मीर में 40 दिनों की सबसे कठोर माने जाने वाले सर्दियों का समय चिलाई कलां की शुरुआत हो गई. डल झील का आधे से ज्यादा हिस्सा जम गया है. झील में रहने वालों का जीवन मानों थम गया है. डल झील में जो सफर मिनटों का होता है वह घंटों में पूरा होता है झील पर जमी परत को तोड़ने में बहुत वक्त लगता है.
चिलाई कलां में घाटी के तापमान में काफी गिरावट आती है. बारिश और हिमपात की संभावना अधिक रहती है. इस मौसम में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लोग खून जमा देने वाली ठंड से बचने के लिए कपड़ों की अतिरिक्त मात्रा में पहनते है. छात्रों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. सुहैल अहमद कहते हैं- चिलाई कलां में बहुत मुश्किल होती है. डल लेक जम गया है. बिजली भी बोहत कम आती है. ऐसे में नल जम जाते हैं. पानी की बोहत मुश्किल होती हैं.
चिलाई कलां जनवरी के अंत में समाप्त होता है, लेकिन यह ठंड का अंत नहीं है. चिलाई कलां के बाद 20 दिन का ‘चिला खुर्द’ (कम ठंड) और 10 दिन का ‘चिला बचा’ (बचा ठंडा) का मौसम रहता है. इस अवधि के दौरान, लोग पहले से ही तैयारी करते है सूखे सब्जियों का उपयोग करते हैं. पारम्परिक हरीसा (पारम्परिक खाना) से नाश्ता होता है, जो दिनभर इंसान को गरम रखता है.
मोहम्मद याकूब कहते हैं, 21 दिसम्बर से शुरू होता है चिलाई कलां कश्मीरी कहावत है “अगर उबलते पानी का पतीला होगा वो भी जम जाता है चलाईकलान के तापमान में इतनी कठोर ठंड रहती है. 1986 में तो झील इतनी जम गई थी कि लोग इस पर खेले थे.
लदाख की बात करें तो कारगिल और द्रास में ठंड का आलम यह है कि लिक्विड खाने पीने की चीज़ें दवाईयां बोतलों में ही जम जाती हैं. मौसम विभाग ने अगले सप्ताह के लिए सूखे मौसम की भविष्यवाणी की है, यानि ठंड और बढ़ेगी. मौसम विभाग के मुताबिक श्रीनगर में न्यूनतम तापमान माइनस 4.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ. पर्यटन सथल पहलगाम में माइनस 7.5 और गुलमर्ग में माइनस 6 दर्ज हुआ. वहीं कारगिल में माइनस 15.1 डिग्री रहा. द्रास सबसे ठंडी जगह रही. यहां का तापमान माइनस 19.3 डिग्री पर जम गया.