नकली पैन और आधार पर बनी फर्जी कंपनियों ने बिना व्यापार किए ही सरकार से अरबों रुपये की वसूली कर ली। ये कंपनियां कागज पर खरीद-फरोख्त करके सरकार से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के नाम पर अरबों रुपये लेकर फुर्र हो गए। इन्वेस्टीगेशन मानीटरिंग सेल की पड़ताल में ऐसी कई फर्जी कंपनियों को पकड़ा गया है।
न कंपनी न कारोबार, लेकिन रंग चोखा
गाजियाबाद, सहारनपुर, मुरादाबाद, मेरठ, आगरा समेत अन्य शहरों में ऐसी फर्जी कंपनियों का जाल बिछा हुआ है। वाणिज्य कर विभाग की इकाई इन्वेस्टीगेशन मानीटरिंग सेल की पड़ताल में इसका खुलासा हुआ है। अब विभाग इन कंपनियों को ढूंढकर इनसे वसूली करने की तैयारी कर रहा है। इन जालसाजों ने एक ही पैन या आधार नम्बर पर कई कंपनियों को पंजीकृत करा लिया। इसके बाद आपस में इन फर्जी कंपनियों पर खरीदारी और कारोबार दिखाते रहे। आखिर में इन्ही फर्जी कागजातों पर सरकार से आईटीसी के नाम पर अरबों रुपये वसूल लिए। कानपुर और मेरठ समेत कुछ कंपनियों को ऐसी जालसाजी में पकड़ा गया है।
कारोबार का ब्यौरा एकत्र किया जा रहा
इन्वेस्टीगेशन मानीटरिंग सेल के इंचार्ज एडिशनल कमिश्नर प्रदीप कुमार ने बताया कि जांच में ऐसे पैन नम्बर या आधार नम्बर पकड़ में आए हैं, जिन पर कई कंपनियां पंजीकृत कराई गईं हैं। पहले चरण में गाजियाबाद, मुरादाबाद, मेरठ में भारी मात्रा में ऐसी कंपनियां पकड़ में आईं हैं। उन्होंने बताया कि अब इनसे किए गए कारोबार का ब्यौरा एकत्र किया जा रहा है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि इन्होंने सरकार को कितना चूना लगाया है। उन्होंने बताया कि 100 फर्जी कंपनियों के आंकड़े मिल पाए हैं। इनमें 59 कंपनी प्रदेश की हैं। वहीं जिन ट्रांसपोर्टरों ने इनके नकली माल को लाने-जाने में अपने कागज लगाए हैं, उनकी गाड़ियों के नम्बर को सर्च करने के लिए विभागीय पोर्टल में डाला गया है।
ऐसी फर्जी कंपनियों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है] जिन्होंने बिना कारोबार किए ही सरकार को चूना लगाया है। जीएसटी में विभाग को यह अधिकार दिए गए हैं कि इनसे कुर्की या नीलामी के जरिए कार्रवाई की जा सके। ऐसे में इन फर्जी कंपनियों से एक-एक पाई की वसूली की जाएगी।