2019 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) को लेकर बन रही विपक्षी एकता पर एक बार फिर ग्रहण लगता दिख रहा है। सपा मुखिया ने डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन के बयान पर अपनी सहमति नहीं दी है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि स्टालिन की राय पर गठबंधन के सभी सदस्य एकमत हों।
स्टालिन ने 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित किया है। इसके बाद से विपक्षी दलों के सुर बदल गए हैं। अब अखिलेश यादव भी इससे सहमत नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनता अब बीजेपी से नाराज है। इसी कारण कांग्रेस को तीन राज्यों में सफलता मिली है। अभी महागठबंधन का खाका तैयार किया जाना है।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, ममता बनर्जी और शरद पवार ने गठबंधन बनाने के लिए सभी नेताओं को एक साथ लाने का प्रयास किया था। इस प्रयास में अगर कोई अपनी राय दे रहा है, तो जरूरी नहीं है कि गठबंधन की राय समान हो। प्रधानमंत्री पद के नाम पर किसी का भी नाम गठबंधन के सभी नेता तय करें तो बेहतर है।
दरअसल, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम 2019 के चुनावों में प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया है। कयास लगाया जा रहा है कि शायद यही वजह है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती, अखिलेश और ममता नहीं पहुंचे। इसके बाद अखिलेश का यह बयान अपने आप में बहुत कुछ साबित करता है।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी से असहमति जताई है। उन्होंने कहा है कि अगर कोई इस तरह का विचार दे रहा है तो जरूरी नहीं कि यह गठबंधन की राय हो। अखिलेश यादव ने यह बात मंगलवार को लखनऊ में पत्रकारों के सवाल पर कही। उनसे पूछा गया कि डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार बताया है।