(भाग-02)
हम पूर्व अंक-1 (एक) मे अमरीकी डोनाल ट्रम्प के 22 नवम्बर 2018 ट्वीट पर यह कहा कि अमेरिका मे वर्तमान मे तापमान शून्य से दो डिग्रीसेंटीग्रेड कम चल रहा है और वैज्ञानिक कह रहे कि यहा ग्लोबल-वार्मिंग का प्रभाव है। इसका उत्तर भारत की अस्था समराह ने दिया कि मौसम को जलवायु का अंतर जानना है तो मै कक्षा- 2 के किताब से बता सकती हूँ। आगे पढ़िये अमेरिका के राष्ट्रपति 2017 में क्या कह रहे थे।
क्या ट्रम्प को अभी भी लगता है कि जलवायु परिवर्तन एक धोखाधड़ी है?
(एंथनी ज़्यूरर नॉर्थ अमेरिका के संवाददाता की 2 जून 2017 की एक रिपोर्ट)
(इस बारे में एक भाषण में जलवायु पर बोले कि आप जानते हैं, कि अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते के लिए पार्टी क्यों बनना नही चाहिए, क्योकि इस बारे में पूरी तरह से चर्चा नहीं हुई थी।)
अमेरिकी अर्थव्यवस्था और नौकरियों के बारे में बहुत सी बाते की गई थी जिसपर उन्होंने चिंता व्यक्त की थी, क्या अन्य देशों को अमेरिका द्वारा कुछ अभिव्यक्तियों की पेशकश से अधिक अनुचित लाभ दिया जा रहा है या नहीं । और उसके बाद राष्ट्रपति के रूप मे उपलब्धियों के लिए लम्बा काम करना था जिसके कारण पर्यावरण के लिये उन्हे कुछ भी नहीं करना था। एक बिंदु पर राष्ट्रपति ने वर्तमान जलवायु विज्ञान के लिए कुछ विशेष संदर्भ दिया, वह कहते है कि पेरिस समझौते के तहत यदि सभी राष्ट्रों द्वारा अपने हिस्से का अनिवार्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लक्ष्य रखे, तो परिणामस्वरूप वर्ष 2100 तक औसत वैश्विक तापमान मे केवल 0.2 डिग्री की ही कमी लाई जा सकेगी।(शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन मे जो आकडे प्रस्तुत किये थे वह पुराने और गलत तरीके से तैयार किये गये थे।)
श्री ट्रम्प का इस मामले मे मौन रहना पत्रकारों को यह सोचने के लिये प्रश्न-चिन्ह छोड़ा है कि क्या राष्ट्रपति अभी भी अपने पहले की ट्वीट टिप्पणियों पर अडिग हैं कि जलवायु परिवर्तन वास्तविक है या नहीं ? यह एक गंभीर संदेह व्यक्त करता हैं। क्या वह अब भी मानते हैं कि यह अमेरिका को कम प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए एक चीनी साजिश है, जैसा कि उन्होंने नवंबर 2012 में ट्वीट किया था? या यह एक पैसा बनाने की “धोखाधड़ी” है, जैसा कि उन्होंने इस बारे में दिसंबर 2015 की अभियान रैली के कहा था?”
उन्हें कभी-कभी इस तरह के व्यापक निंदा मे पुनः सामिल कर लिया जाता है। हिलेरी क्लिंटन के साथ पहली राष्ट्रपतीय बहस के दौरान, उन्होंने कभी चीनी को दोषी ठहराने वाली बात से इनकार कर दिया। अपनी चुनावी जीत के कुछ ही समय बाद न्यूयॉर्क टाइम्स साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि मानव गतिविधियो और जलवायु परिवर्तन के बीच “कुछ कनेक्टिविटी अर्थात सम्बंध” है। श्री ट्रम्प ने पेरिस समझौते की अपने को अलग करने की घोषणा के बाद, पत्रकारों ने एक बार फिर से व्हाइट हाउस सहयोगियों को सार्वजनिक रूप से कदम उठाने के लिए काम करने को कहा। और प्रश्न भी किया कि क्या राष्ट्रपति मानते हैं कि मानव गतिविधिया जलवायु परिवर्तन में योगदान देती है?
• क्या अमेरिकी शहर इसको लेकर अकेले चलेंगे?
• क्या यह ट्रम्प को चोट पहुंचाता है?
मीडिया ने जून 01, 2017 गुरुवार दोपहर दो प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एक पृष्ठभूमि सत्र के दौरान इसके बारे में पुनः पूछा गया । उन्होंने शुक्रवार की सुबह एक टेलीविजन साक्षात्कार के दौरान व्हाइट हाउस सलाहकार केलीन कॉनवे से पूछा तथा शुक्रवार दोपहर को पर्यावरण संरक्षण एजेंसी प्रमुख ‘स्कॉट प्रुत’ से भी अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह प्रश्न पूछा। और समय-समय केवल जवाब मे “मुझे नहीं पता”, “मैं नहीं कह सकता” या “यह प्रासंगिक नहीं है” का ही उत्तर प्राप्त होता रहा था। श्री स्काट प्रुत से कई बार अपने बॉस के विचारों पर, यह एक महत्वपूर्ण मुद्दे होने के कारण ध्यान केंद्रित कराया कि क्या पेरिस जल्वायु समझौता देश के लिए अच्छा या बुरा था?”
मंगलवार 30 मई 2017 को प्रेस सचिव शॉन स्पाइसर ने बताया था कि उन्हें जलवायु परिवर्तन के बारे में राष्ट्रपति के विचारों का पता नही है क्योंकि उन्होंने उनसे कभी नहीं पूछा था। शुक्रवार को पुनः उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें राष्ट्रपति से बात करने का मौका मिला था। स्पाइसर ने जवाब दिया- “मुझे ऐसा करने का मौका नहीं मिला है।”
बाकी प्रेस कॉन्फ्रेंस एक विस्तारित पार्लर गेम जैसा था जिसमे प्रेस सचिव से पर्ची के माध्यम से जानने की कोशिश की गई कि शायद अनजाने में श्री ट्रम्प के विचारों पर कुछ प्रकाश डाल सके, परंतु इसका कोई फायदा नहीं हुआ।
उपरोक्त तथ्य से यह स्पष्ट हुआ कि जलवायु परिवर्तन पर, श्री ट्रम्प की स्थिति को स्पष्ट करने में प्रशासनिक अमले की कोई रूचि नहीं है– परंतु ऐसा क्यों? भ्रम की स्थिति, अक्सर राजनेताओ के सहयोगियो से ही प्राप्त हो सकता है। क्योकि राष्ट्रपति को भी उनके मूल समर्थकों की जरूरत होती है जो उनके साथ रहें है और जो आगे भी किसी न किसी माध्यम से उनसे जुडे रहेगे । जो लोग जलवायु परिवर्तन पर विश्वास नहीं करते हैं, वे वास्तव में राष्ट्रपति की पिछली टिप्पणियों को प्रमाण के रूप में देखते हैं कि वह सभी उनके आदमी है और अभी भी वह लोग बिना किसी स्पष्टता के ऐसा कहने के लिए उनके साथ खड़े हैं।
• जलवायु परिवर्तन क्या है?
• पेरिस जलवायु सौदे में क्या है?
उपरोक्त प्रश्नों के पुनः आग्रह पर राष्ट्रपति से यह इजाजत मिलती है कि वह जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए कुछ स्थितियों के साथ तैयार है– क्या पेरिस समझौते पर “पुनर्विचार” किया जा सकता है– कि जलवायु परिवर्तन शायद एक समस्या है। यह उन अमेरिकियों के बहुमत को भी जानने कि उत्सुकता है जो जलवायु परिवर्तन एक असली वैश्विक खतरा मानते है और वह लोग अपनी चिंताओं को दूर करने की कोशिश भी कर रहे है। यह श्री स्काट प्रुत जैसे प्रशासनिक प्रतिनिधियो को गुप्त सूचना देने वाला बना देता है कि अमेरिका ने कार्बन उत्पादन को कम कर दिया है, केवल एक कारण यह स्वीकार किए कि मानव गतिविधि वैश्विक जलवायु को प्रभावित करती है- यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। व्हाईट हाउस मे संचार टीमों के सबसे अनुभवी लोगों को जानने के लिए यह एक अच्छी खबर है। परंतु अकेले मिलने वाले व्यक्ति को चिंतित होना चाहिए कि अगली बार जब राष्ट्रपति से सवाल पूछा जाए, तो वह कह नहीं सकता कि वह क्या कहेंगे।
उपरोक्त अमरीकी मीडिया के प्रश्नो के वावजूद भी उनके राजनीतिज्ञयो व प्रशासनिक प्रतिनिधियो द्वारा कैसे विश्व के महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन जैसी विभिषिकाओं के कारणों के बारे मे नकारकर पूरी दुनिया को गुमराह करने मे लगी हुई है। वह अपने व्यापार और ईधन के उपयोग मे कटौती नही करना चाहता है बल्कि विश्व के अन्य देशो से चाहता है कि वह सभी कार्बन घटाने मे अपनी सहभागिता बढ़ाये और इसके लिये उस पर कोई दबाव न डाला जाय। मीडिया की स्वतंत्रता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। यहा तक कि अमेरिका मे क्या हो रहा है, विश्व के अन्य देशो को सही समाचार नही मिल पा रहा है। क्या विश्व का एक शक्तिशाली देश, जो प्रजातांत्रिक है, के द्वारा पूरे विश्व के देशो को वेवकूफ बनाने का यह जीता जागता उदाहरण नही है? आज इस पर चिंतन करना अत्यंत आवश्यक है।
(शेष के लिए पढ़ें अगला अंक-3)