बोले- विवादित भूमि पर नहीं बने राम मंदिर
-राघवेन्द्र प्रताप सिंह
लखनऊ । समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया नाम से नयी पार्टी का गठन करने वाले शिवपाल सिंह यादव ने राजधानी में बड़ी रैली करके अपनी ताकत दिखायी। हालांकि रैली में उनके सम्बोधन में निषाने पर भाजपा थी लेकिन इसके साथ ही वह ‘कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना’ वाली कहावत को जरितार्थ कर रही थी। उनका सारा जोर परोक्ष रुप से अपनी ताकत का अहसास समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को कराने पर था। इसके साथ उन्होंने अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव की तर्ज पर मुसलमानों पर डोरे डालने में देर नहीं की और कहा कि अयोध्या में विवादित भूमि पर राम मंदिर नहीं बनना चाहिए। उन्होंने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए कहा कि अगर मंदिर बनाना है तो सरयू के किनारे कहीं जमीन तलाश लो। सरकार के पास जमीन की कमी नहीं होती है।
रविवार को अपनी नवगठित पार्टी के पहले शक्ति प्रदर्शन के रूप में शिवपाल सिंह यादव ने रमाबाई मैदान पर ‘जनाक्रोश रैली’ की। उन्होंने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि उसने देश को कमजोर किया है और वह लोकसभा चुनाव में सियासी फायदा लेने के लिये दंगा भड़काना चाहती है। उन्होंने ऐलान किया कि हम भाजपा को देश और प्रदेश से हटाएंगे। हम शांति और भाईचारा चाहते हैं लेकिन सांप्रदायिक लोग दंगे भडकाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 1992 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा सुरक्षा की गारंटी का हलफनामा देने के बावजूद बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया गया था। वह देश में फिर से वो ही आग फैलाना चाहती है। आज लोग मुसलमान का नाम लेने में घबराने लगे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली 25 नवम्बर को अयोध्या में ‘धर्म सभा‘ के नाम पर माहौल खराब करने की कोशिश की गयी थी लेकिन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के लोग सड़कों पर निकल पड़े थे कि हम अयोध्या में दंगा नहीं होने देंगे।
वहीं उन्होंने आरक्षण जैसे संवेदनषील मुद्दे पर भी अपना और अपनी पार्टी का रुख साफ करते हुए कहा कि जो भी सवर्ण हैं और गरीब हैं उनका भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक आधार पर उनका भी आरक्षण होना चाहिए। हम सबका सम्मान करते हैं और भरोसा दिलाते हैं कि जब से पीएसपी बनायी है, तब से कहा है कि जो उपेक्षित हैं, हमारे साथ आइये, हम सम्मान देंगे। हम देश में परिवर्तन लाने का काम करेंगे। प्रसपा मुखिया ने कहा कि वर्तमान बेईमान, निकम्मी और झूठी सरकार को हटाने की आवश्यकता है। हम और नेता जी (सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव) मुसलमानों के साथ खड़े हैं। हम कर्मचारियों को पुरानी पेंशन भी देना चाहते हैं। वायदा करते हैं कि हम पुरानी पेंशन दिलाने का काम करेंगे। संविदाकर्मियों को भी समायोजित करने की दिशा में वह गंभीरता से प्रयत्न करेंगे। उन्होंने नारेबाजी के बीच आश्वासन दिया कि नौजवानों के लिए रोजगार की वह व्यवस्था करेंगे।
रैली में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव अपनी छोटी पुत्रवधू अपर्णा यादव के साथ पहुंचे। उनकी मौजूदगी में शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि नेता जी (मुलायम) भी आज यहां हैं। शिवपाल ने कहा कि यहां नेताजी बैठे हैं। आपके साथ मैंने 40 साल काम किया है। हम तो नेताजी से साथ सपा में ही रहना चाहते थे। मुख्यमंत्री क्या मंत्री का भी पद नहीं मांगा। नेताजी ने जो आदेश दिया उसका पालन किया। परिवार में चाहे छोटा हो या बड़ा है सबकी बात सुनी। आप सब लोग थे रजत जयंती पर मैंने कहा था कि मुझे कोई पद नहीं चाहिये। मुझे तो बस सम्मान चाहिए था। नेताजी के सम्मान चाहिये था। नेताजी मैने बहुत इंतजार किया। आपने भी बहुत प्रयास किया। लेकिन यह सब चुगलखोर, चापलूसों और और जनाधार विहीन लोगों की वजह से हुआ। मैंने उनका भी सम्मान किया लेकिन नेताजी न आपकी सुनी गई और न मेरी सुनी गई। तब मैंने आपसे पूछकर पार्टी बनाई। भगवती सिंह, रामनरेश यादव गवाह है कि आपसे पूछा था। दुबारा भी आपसे पूछा तब पार्टी बनाई।
हालांकि रैली में उस समय असहज स्थिति पैदा हो गयी जब मुलायम सिंह यादव ने मंच संभलवा और षिवपाल सिंह यादव की पार्टी प्रगतिषील समाजवादी पार्टी-लोहिया की जगह समाजवादी पार्टी की चर्चा करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी सबको लेकर चलती है। सबको इंसान मानती है, चाहे अगड़ा हो या पिछड़ा, हिन्दू हो या मुसलमान। उन्होंने कहा कि आप सबको सपा को मजबूत करना है। इस दौरान उनके बगल में खड़े शिवपाल और अपर्णा ने जब मुलायम को टोका तो पहले तो थोड़ा झल्लाये लेकिन बाद में सपा का नाम लेना बंद कर दिया। रैली को सम्बोधित करते हुए मुलायम की छोटी बहू अपर्णां यादव ने कहा कि आज की रैली इस बात का सबूत है कि शेर को चोट नहीं देनी चाहिए। जब नेताजी (मुलायम) को चोट पहुंची तो वह शिक्षक से राजनेता बने। अब चाचा (शिवपाल) को चोट पहुंची है। देखिए क्या होता है? उल्लेखनीय है कि सपा से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव रविवार को अपनी पहली रैली के जरिए राजनीतिक ताकत का अहसास करा रहे हैं। उनके समर्थकों ने रैली को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। जनाक्रोश रैली में भीड़ जुटी है।